J&K: अपने आकाओं से संपर्क साधने के लिए आंतकी करते है स्थानीयों का फोन इस्तेमाल, राजौरी-पुंछ जैसे हमले में हुआ यूज -रिपोर्ट

By आजाद खान | Published: July 8, 2023 07:43 AM2023-07-08T07:43:12+5:302023-07-08T08:46:54+5:30

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आतंकी स्थानीयों के फोन को इस्तेमाल करने के लिए उन्हें पैसों का लालच देते या फिर उन्हें धमका कर रखते थे और उनका मोबाइल इस्तेमाल करते थे।

J&K Terrorists use phones locals contact their handlers attacks like Rajouri-Poonch report | J&K: अपने आकाओं से संपर्क साधने के लिए आंतकी करते है स्थानीयों का फोन इस्तेमाल, राजौरी-पुंछ जैसे हमले में हुआ यूज -रिपोर्ट

फोटो सोर्स: ANI (प्रतिकात्मक फोटो)

Highlightsमीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अपने आकाओं से बात करने के लिए आंतकी स्थानीयों का फोन इस्तेमाल करते है। वे स्थानियों के फोन से एप के जरिए अपने आकाओं से संपर्क करते है। यही नहीं अपने आलाकमान को संदेश देने और आर्डर लेने के बाद वे एप को फोन से हटा देते है।

जम्मू: मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जम्मू-कश्मीर (J&K) के आतंकवादी अपने आकाओं से बात करने के लिए 'टेलर्ड कम्युनिकेशन ऐप्स' यानी एक खास किस्म के एप्स का इस्तेमाल करते है। इसी तरीके के एप्स को राजौरी और पुंछ में तीन आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए भी किया गया था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये आतंकवादी पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर (PoJK) में लश्कर के शीर्ष कमांडर के साथ संपर्क करने के लिए स्थानीयों का फोन इस्तेमाल करते हैं। यही नहीं वे संचार के लिए पुंछ-राजौरी जिले में स्थानीय लोगों के मोबाइल फोन को यूज करते है और फिर काम हो जाने पर फोन से सभी डेटा को हटा देते है। 

धमकी या पैसे के बल से करते है स्थानीयों का फोन इस्तेमाल

रिपब्लिक के अनुसार, सूत्रों से यह पता चला है कि ये आतंकवादी स्थानीयों का फोन इस्तेमाल करने के लिए उन्हें कभी धमकी देते थे तो कभी उन्हें पैसे की लालच देकर उनके मोबाइल को इस्तेमाल करते हैं। इस साल पुंछ और राजौरी में हुए तीन आतंकी हमलों के बारे में यह पता चला है कि आतंकवादी लश्कर कमांडर सैफुल्ला सज्जाद जट्ट उर्फ ​​लंगड़ा के संपर्क में थे जो लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का लॉन्च कमांडर है। 

एजेंसियों को शक है कि राजौरी-पुंछ जैसे हमले लश्कर कमांडर सैफुल्ला सज्जाद जट्ट द्वारा पेश की गई है। जानकारी के अनुसार, यह वही भट्ट है जो एक दशक तक दक्षिण कश्मीर में सक्रिय है। इसने 1990 के दशक में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की शुरुआत की थी और अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बस गया है।

ऐसे करते थे स्थानियों का फोन इस्तेमाल

रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले से एक अधिकारी ने रिपब्लिक को बताया कि आंतकवादी स्थानियों का फोन लेते है और कुछ मिनटों के लिए इन 'टेलर्ड कम्युनिकेशन' ऐप्स को इंस्टॉल करते हैं और फिर सीमा पार अपने आकाओं को कॉल करते हैं। इसके बाद वे संदेश पहुंचाते हैं और फिर अपने आकाओं से आर्डर लेते है। ऐसे में आर्डल लेने के बाद वह स्थानियों के फोन से उस एप को हटा देते हैं। 
 

Web Title: J&K Terrorists use phones locals contact their handlers attacks like Rajouri-Poonch report

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