लाइव न्यूज़ :

J&K Assembly Elections 2024: 37 सालों में 1271 राजनीतिज्ञ हुए आतंकी हमले के शिकार, सिलसिला जारी

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: August 17, 2024 12:43 IST

विधानसभा चुनावों की घोषणा के साथ ही कश्मीर में सुरक्षा की चिंता सताने लगी है क्योंकि पाक परस्त आतंकवाद ने एक बार फिर से फन उठा लिया है। इस बारआतंकी कहर जम्मू संभाग पर बरप रहा है।

Open in App
ठळक मुद्देकश्मीर में होने वाले हर किस्म के चुनावों में आतंकियों ने राजनीतिज्ञों को ही निशाना बनाया है।पिछले 37 सालों के आतंकवाद के दौर के दौरान सरकारी तौर पर आतंकियों ने 1271 के करीब राजनीतिज्ञों को मौत के घाट उतारा है।इनमें ब्लाक स्तर से लेकर मंत्री और विधायक स्तर तक के नेता शामिल रहे हैं।

जम्मू: विधानसभा चुनावों की घोषणा के साथ ही कश्मीर में सुरक्षा की चिंता सताने लगी है क्योंकि पाक परस्त आतंकवाद ने एक बार फिर से फन उठा लिया है। इस बारआतंकी कहर जम्मू संभाग पर बरप रहा है। चुनाव आयोग ने भी इसके प्रति चिंता जताते हुए कहा है कि प्रत्येक उम्मीदवार को सुरक्षा प्रदान की जाएगी पर अभी तक का इतिहास यही बताता है कि जम्मू कश्मीर में राजनीतिज्ञ हमेशा ही आतंकियों के लिए साफ्ट टारगेट रहे हैं।

सुरक्षाबलों और प्रदेश सरकार के दावों के बावजूद इस सच्चाई से मुख नहीं मोड़ा जा सकता कि जम्मू कश्मीर में फैले आतंकवाद में राजनीतिज्ञ आतंकियों के नर्म लक्ष्य रहे हैं। कश्मीर में होने वाले हर किस्म के चुनावों में आतंकियों ने राजनीतिज्ञों को ही निशाना बनाया है। उन्होंने न ही पार्टी विशेष को लेकर कोई भेदभाव किया है और न ही उन राजनीतिज्ञों को ही बख्शा जिनकी पार्टी के नेता अलगाववादी सोच रखते हों।

यह इसी से स्पष्ट होता है कि पिछले 37 सालों के आतंकवाद के दौर के दौरान सरकारी तौर पर आतंकियों ने 1271 के करीब राजनीति से सीधे जुड़े हुए नेताओें को मौत के घाट उतारा है। इनमें ब्लाक स्तर से लेकर मंत्री और विधायक स्तर तक के नेता शामिल रहे हैं। हालांकि वे मुख्यमंत्री या उप-मुख्यमंत्री तक नहीं पहुंच पाए लेकिन ऐसी बहुतेरी कोशिशें उनके द्वारा जरूर की गई हैं।

राज्य में विधानसभा चुनावों के दौरान सबसे ज्यादा राजनीतिज्ञों को निशाना बनाया गया है। इसे आंकड़े भी स्पष्ट करते हैं। वर्ष 1996 के विधानसभा चुनावों में अगर आतंकी 75 से अधिक राजनीतिज्ञों और पार्टी कार्यकर्ताओं को मौत के घाट उतारने में कामयाब रहे थे तो वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव उससे अधिक खूनी साबित हुए थे जब 87 राजनीतिज्ञ मारे गए थे। 

ऐसा भी नहीं था कि बीच के वर्षों में आतंकी खामोश रहे हों बल्कि जब भी उन्हें मौका मिलता वे लोगों में दहशत फैलाने के इरादों से राजनीतिज्ञों को जरूर निशाना बनाते रहे थे। अगर वर्ष 1989 से लेकर वर्ष 2005 तक के आंकड़ें लें तो 1989 और 1993 में आतंकियों ने किसी भी राजनीतिज्ञ की हत्या नहीं की और बाकी के वर्षों में यह आंकड़ा 8 से लेकर 87 तक गया है। 

इस प्रकार इन सालों में आतंकियों ने कुल 671 राजनीतिज्ञों को मौत के घाट उतार दिया। अगर वर्ष 2008 का रिकार्ड देंखें तो आतंकियों ने 16 के करीब कोशिशें राजनीतिज्ञों को निशाना बनाने की अंजाम दी थीं। इनमें से वे कईयों में कामयाब भी रहे थे। 

चौंकाने वाली बात वर्ष 2008 की इन कोशिशों की यह थी कि यह लोकतांत्रिक सरकार के सत्ता में रहते हुए अंजाम दी गईं थी जिस कारण जनता में जो दहशत फैली वह अभी तक कायम है। अब जबकि प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है, आतंकी भी अपनी मांद से बाहर निकलते जा रहे हैं। उन्हें सीमा पार से दहशत मचाने के निर्देश दिए जा रहे हैं। 

वे अपनी कोशिशों की शुरूआत भी कर चुके हैं। हालांकि बड़े स्तर के नेताओं को तो जबरदस्त सिक्यूरिटी दी गई है पर निचले और मंझौले स्तर के नेताओं को चुनाव प्रचार के लिए बाहर निकलने में खतरा महसूस हो रहा है। ऐसे नेताओं को एक से दो व्यक्तिगत सुरक्षाकर्मियों की सुरक्षा मुहैया करवाई जा रही है जो आतंक के स्तर के आगे ऊंट के मुंह में जीरे के समान कही जा सकती है।

टॅग्स :जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024जम्मू कश्मीर
Open in App

संबंधित खबरें

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

क्रिकेटवैभव सूर्यवंशी की टीम बिहार को हैदराबाद ने 7 विकेट से हराया, कप्तान सुयश प्रभुदेसाई ने खेली 28 गेंदों में 51 रन की पारी, जम्मू-कश्मीर को 7 विकेट से करारी शिकस्त

भारतDrung Waterfall: महीनों बाद खुला द्रुग वाटरफाल, टंगमर्ग राइडर्स की रोजी-रोटी में मदद मिली

भारतJammu-Kashmir Power Shortage: सर्दी बढ़ने के साथ कश्मीर में गहराया बिजली सकंट, करीब 500 मेगावाट बिजली की कमी से परेशान लोग

भारतJammu-Kashmir: कश्मीर के मोर्चे से खुशखबरी, आतंकी हिंसा में गिरावट पर आतंक और दहशत में नहीं

भारत अधिक खबरें

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत

भारतउत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोगः 15 विषय और 7466 पद, दिसंबर 2025 और जनवरी 2026 में सहायक अध्यापक परीक्षा, देखिए डेटशीट