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झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार अलर्ट मोड में, सियासी भूचाल आने के आसार

By एस पी सिन्हा | Updated: August 19, 2022 20:37 IST

सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने सत्तारूढ़ महागठबंधन दलों की शनिवार को बैठक बुलाई है और सरकार अलर्ट मोड पर है। उल्लेखनीय है कांग्रेस के कई विधायक फिलहाल रांची में ही कैंप कर रहे हैं। 

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ठळक मुद्देकांग्रेस के कई विधायक फिलहाल रांची में ही कैंप कर रहे हैंकांग्रेस ने अपने विधायकों को 20 तक राज्य में रहने को कहा हैसीएम के भाई बसंत सोरेन के मामले में 22 अगस्त को निर्वाचन आयोग में है सुनवाई

रांची: झारखंड में एकबार फिर से सियासी सरगर्मी फिर से तेज हो गई है। राज्य में राजनीतिक हालात को देखते हुए विधायकों को राजधानी के आसपास ही रहने का निर्देश मिला है। अगले कुछ दिनों के संभावित कई घटनाक्रमों को आपस में जोड़कर देखा जा रहा है। 

राजनीतिक विश्लेषक राज्य के लिए अगले कुछ दिनों को बेहद अहम मान रहे हैं। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने सत्तारूढ़ महागठबंधन दलों की शनिवार को बैठक बुलाई है और सरकार अलर्ट मोड पर है। उल्लेखनीय है कांग्रेस के कई विधायक फिलहाल रांची में ही कैंप कर रहे हैं। 

कांग्रेस विधायकों का इस मामले में कहना है कि राजनीतिक हालात को देखते हुए ऐसा निर्देश आया है। वहीं, झामुमो विधायक भी संपर्क में हैं। इधर, विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो और झामुमो विधायक निरल पूर्ति ने अपनी कनाडा यात्रा रद्द कर दी है। हालांकि, महतो ने कहा कि उनकी तबीयत थोडी खराब है और क्षेत्र में सुखाड़ को देखते हुए उन्होंने अपनी यात्रा रद्द की है। 

उधर, कांग्रेस ने अपने विधायकों को 20 तक राज्य में रहने को कहा है। संसदीय कार्य मंत्री ने इस बैठक को मानसून सत्र के दौरान विधायकों की ओर से क्षेत्र की रखी गई समस्याओं का समाधान निकालने के लिए बुलाई गई बताया है। हालांकि दुमका विधायक मुख्यमंत्री के भाई बसंत सोरेन के मामले में 22 अगस्त को निर्वाचन आयोग में सुनवाई निर्धारित है।

ऐसे में अगले कुछ दिनों के संभावित बड़े घटनाक्रमों में से एक चुनाव आयोग का फैसला होगा। मुख्यमंत्री के नाम खनन लीज मामले में आयोग ने सुनवाई पूरी कर ली है। आयोग के निर्देशानुसार इस मामले में दोनों पक्षों (भाजपा नेता और मुख्यमंत्री) की ओर से लिखित दलीलें आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर दी है। 

आयोग ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। चर्चा 24 अगस्त तक फैसला आने को लेकर चल रही है। निर्वाचन आयोग किसी भी दिन फैसला सुना सकता है। बताया गया कि निर्वाचन आयोग अपने फैसले से राज्यपाल को अवगत कराएगा, जिसके आधार पर राज्यपाल कार्रवाई करेंगे। 

गौरतलब है कि भाजपा नेताओं की शिकायत पर राज्यपाल ने निर्वाचन आयोग से नाइन-ए के मामले में मंतव्य मांगा था। भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम पत्थर खदान लीज लेने के आधार पर उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग की है। इसके बाद राज्यपाल ने मामला निर्वाचन आयोग को भेज दिया था।

टॅग्स :हेमंत सोरेनझारखंड
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