Jharkhand: "जिस तरह फादर स्टैन को निपटाया गया, मेरे साथ भी वैसा ही कुछ हो रहा है" पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किया सनसनीखेज दावा

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: June 7, 2024 12:44 IST2024-06-07T12:41:01+5:302024-06-07T12:44:55+5:30

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये अपनी जान खतरे में बताई है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता सोरेन इस समय रांची के होटवार जेल में बंद हैं।

Jharkhand: "The way Father Stan was disposed of, something similar is happening to me too" claimed in the social media post of former Chief Minister Hemant Soren | Jharkhand: "जिस तरह फादर स्टैन को निपटाया गया, मेरे साथ भी वैसा ही कुछ हो रहा है" पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने किया सनसनीखेज दावा

फाइल फोटो

Highlightsझारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये अपनी जान खतरे में बताई झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता हेमंत सोरेन इस समय रांची के होटवार जेल में बंद हैंसोरेन ने कहा कि जैसे जेल में फादर स्टैन को निपटा दिया गया, मेरे साथ भी वैसा ही हो रहा है

रांची:झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये अपनी जान खतरे में बताई है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता हेमंत सोरेन इस समय रांची के होटवार जेल में बंद हैं। पूर्व सीएम सोरेन ने आरोप लगाया है कि जेल में वो भी उसी तरह के उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं, जैसा फादर स्टेन स्वामी के साथ हुआ था।

समाचार वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार हेमंत सोरेन के फेसबुक खाते से किये पोस्ट में कहा गया है कि नई लोकसभा चुनाव के नतीजे आदिवासी अधिकारों के लिए लड़ने वाले स्वामी स्टैन की हिरासत में हुई मौत का बदला लेने की शुरुआत है। सोरेन ने दावा किया है कि उनकी पत्नी कल्पना सोरेन को उनसे मिलने से रोका जा रहा है।

हेमंत सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय ने कथित भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया है।

उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में कहा, "जिस तरह सबसे कमजोर तबके के लिए आवाज उठाने वाले फादर स्टेन को संस्थागत उपेक्षा और अन्याय ने चुप करा दिया था, आज उसी तरह का जुल्म मुझपर किया जा रहा है। आज हर झारखंडी को मजबूती से समर्थन में खड़े होने की जरूरत है। अब हेमंत सोरेन के साथ हुए अन्यथा और मणिपुर में बदलने से कोई नहीं रोक सकता।''

मणिपुर के इंफाल घाटी स्थित मैतेई और पहाड़ी स्थित कुकी के बीच जातीय संघर्ष में 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई और हजारों लोग बेघर हो गए।

सोरेन के सोशल मीडिया पोस्ट में यह भी कहा गया, "इस चुनाव ने 84 साल के दिवंगत फादर  और आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता फादर स्टैन स्वामी की गलत हिरासत में मौत के लिए झारखंड के बदला लेने की शुरुआत की है, जो भारत के लोकतंत्र और मानवाधिकार की स्थिति पर एक काला धब्बा है।"

पिछले तीन लोकसभा चुनावों में झारखंड में दबदबा रखने वाली भाजपा को राज्य की पांच आदिवासी सीटों खूंटी, सिंहभूम, लोहरदगा, राजमहल और दुमका में बड़ा झटका लगा है। इनमें से तीन सीटें सत्तारूढ़ झामुमो ने और दो सीटें कांग्रेस ने जीतीं, जिनमें खूंटी निर्वाचन क्षेत्र भी शामिल है, जहां केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा को हार का सामना करना पड़ा है। मुंडा कांग्रेस के कालीचरण मुंडा से 1.49 लाख वोटों से हार गए हैं।

वहीं कल्पना सोरेन ने गांडेय उपचुनाव में भी अपने निकटतम भाजपा प्रतिद्वंद्वी दिलीप कुमार वर्मा से 27,149 वोटों से जीत हासिल की।

सोरेन की फेसबुक पोस्ट में लिखा, "बुढ़ापे और पार्किंसंस रोग के बावजूद फादर स्टेन, जो दशकों से आदिवासी समुदायों के अधिकारों के लिए लड़ रहे थे। उनको भाजपा सरकार द्वारा झूठे आतंकवाद के आरोप में जमानत और उचित चिकित्सा उपचार से वंचित कर दिया गया था। उन्हें पानी पीने के लिए 25 पैसे का एक स्ट्रा नहीं दिया गया। जेल की स्थितियों और बिगड़ती स्वास्थ्य स्थितियों के कारण फादर स्टेन की 5 जुलाई, 2021 को जेल में मौत हो गई थी।''

झारखंड में आदिवासियों के बीच लंबे समय तक काम करने वाले स्वामी की मुंबई में उस मामले में जमानत की अपील की सुनवाई से कुछ घंटे पहले मृत्यु हो गई, जिसमें उन पर 'शहरी नक्सली' होने का आरोप लगाया गया था।

उसके बाद विपक्ष की ओऱ से कहा गया था, "उनकी मौत आतंकवाद के बहाने विपक्ष और आदिवासियों को दबाने और मानवाधिकार कार्यों को अपराध बनाने की भाजपा की नीति का एक उदाहरण है।"

स्वामी की मृत्यु के बाद सोरेन, जो उस समय मुख्यमंत्री थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार को फादर स्टैन के प्रति उदासीनता के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। स्वामी ने झारखंड में आदिवासियों के बीच करीब तीन दशक तक काम किया था।

कैंसर रोगी स्वामी को 8 अक्टूबर, 2020 को रांची में उनके घर से गिरफ्तार किया गया था। उन्हें भीमा कोरेगांव मामले के सिलसिले में मुंबई ले जाया गया और उन पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया। राष्ट्रीय जांच एजेंसी के अधिकारियों ने दावा किया था कि जांच से पता चला है कि वह सीपीआई (माओवादी) के साथ सक्रिय रूप से शामिल था।

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