रांची: टेंडर कमीशन घोटाले में ईडी के द्वारा गिरफ्तार किए गए झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम को गुरुवार को पीएमएलए कोर्ट में पेश किए जाने के बाद रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल भेज दिया गया। बता दें कि ईडी की टीम मंत्री आलमगीर आलम को 13 दिनों की रिमांड पर लेकर पूछताछ कर चुकी है। नियमानुसार किसी भी आरोपी को अधिकतम 14 दिनों की रिमांड पर ही रख सकती है। ईडी ने उन्हें 15 मई की शाम को गिरफ्तार किया था।
उल्लेखनीय है कि जेल भेजे जाने के बावजूद आलमगीर आलम मंत्री पद पर बने हुए हैं। न तो उन्होंने इस्तीफा दिया है, न ही उन्हें मुख्यमंत्री ने उनके पद से हटाया है। ईडी ने मंत्री आलमगीर आलम से लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था। इस दौरान ईडी की पूछताछ में वे कई सवालों के जवाब नहीं दे पाये थे। इससे पहले ईडी ने इस मामले में आलमगीर आलम के पीएस संजीव लाल और उसके सहायक के ठिकानों पर छापेमारी की थी। जहां से उन्हें भारी मात्रा में कैश बरामद हुआ था।
साथ ही ईडी को इससे जुड़ी एक डायरी भी बरामद हुई थी। जिसमें कई बातों का खुलासा हुआ था। इस दौरान ग्रामीण विकास विभाग में सचिव रहे आईएएस अधिकारी मनीष रंजन, पीएस संजीव कुमार लाल, घरेलू सहायक जहांगीर आलम से भी उनका आमना-सामना कराया गया और कमीशन वसूली को लेकर कई सवाल पूछे गए। एजेंसी ने पूछताछ के दौरान आलमगीर आलम पर कई सवालों के जवाब नहीं देने का आरोप लगाया है।
एजेंसी ने कोर्ट को बताया है कि आलमगीर आलम से पूछताछ में टेंडर कमीशन घोटाले से जुड़े कई नए तथ्य उजागर हुए हैं। टेंडर कमीशन घोटाले में इंजीनियर, अधिकारी व मंत्री का एक संगठित गिरोह सक्रिय था। ईडी ने नमूना के तौर पर जनवरी महीने में पारित 92 करोड़ के 25 टेंडर के ब्यौरे से संबंधित एक पेपर भी कोर्ट में जमा किया था, जिसमें यह स्पष्ट लिखा हुआ है कि मंत्री आलमगीर आलम ने उक्त सभी 25 टेंडर में कमीशन के रूप में 1.23 करोड़ रुपये लिए थे।