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झारखंड: कोरोना के बढ़ते मामलों पर हाइकोर्ट ने हेमंत सोरेन से किये कई सवाल, रिम्स के बदतर हालात को लेकर भी सरकार से पूछे सवाल

By एस पी सिन्हा | Updated: September 4, 2020 19:31 IST

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ रवि रंजन व न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए मौखिक टिप्पणी की कि अच्छे डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ व मेडिकल स्टाफ के बावजूद रिम्स की स्थिति बदतर क्यों है?

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ठळक मुद्देहाई कोर्ट ने सरकार से पूछा कि रिम्स में पूर्णकालिक निदेशक की नियुक्ति क्यों नहीं हो रही है?अदालत ने रिम्स के सभी विभागों में सृजित पद और रिक्त पदों की जानकारी मांगी है.खंडपीठ ने कहा कि जब मामले की शुरुआत हुई थी, तो उस समय केस कम थे. कुछ सौ केस ही थे. आज की परिस्थिति बदल गई है.

रांची: झारखंड में कोरोना संक्रमण के बढते मामलों से संबंधित एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाइकोर्ट ने हेमंत सोरेन से कई सवाल किये हैं. प्रदेश के सबसे बडे अस्पताल रिम्स बदतर हालात को लेकर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब-तलब किया है.

कोर्ट ने आज शुक्रवार को कोरोना से बचाव के उपाय को लेकर स्वतः संज्ञान से दर्ज मामले की सुनवाई की. कोर्ट ने पूछा है कि जब रिम्स में इतने अच्छे डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ मौजूद हैं, लोग अपनी क्षमता से काम कर रहे हैं, तो सूबे के सबसे बडे सरकारी अस्पताल की स्थिति इतनी बदतर क्यों है?

झारखंड हाइकोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोरोना वायरस (कोविड-19) के बढते संक्रमण पर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को अद्यतन विस्तृत रिपोर्ट देने का निर्देश दिया.

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ रवि रंजन व न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए मौखिक टिप्पणी की कि अच्छे डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ व मेडिकल स्टाफ के बावजूद रिम्स की स्थिति बदतर क्यों है?

हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा कि रिम्स में पूर्णकालिक निदेशक की नियुक्ति क्यों नहीं हो रही है? इसको सुधारने के लिए क्या उपाय किया जा रहे हैं? अदालत ने रिम्स के सभी विभागों में सृजित पद और रिक्त पदों की जानकारी मांगी है. कोर्ट ने सरकार से पूछा कि आखिर कमी कहां है?

चिकित्सक और मेडिकल स्टाफ रात-दिन काम कर रहे हैं. अपनी-अपनी क्षमता के साथ काम कर रहे हैं. हर व्यक्ति की अपनी क्षमता होती है. चिकित्सक, नर्स व अन्य स्टाफ की कितनी वैकेंसी रिम्स में है. कितने स्वीकृत पद हैं और कितने भरे हुए हैं? यदि पद खाली रहेंगे, तो काम कैसे होगा? खंडपीठ ने कहा कि जब मामले की शुरुआत हुई थी, तो उस समय केस कम थे. कुछ सौ केस ही थे. आज की परिस्थिति बदल गई है.

आज केस लगातार बढ रहे हैं. संक्रमण का ट्रेंड नीचे नहीं आ रहा है. जब महामारी आती है, तो छोटा-बडा नहीं देखती. कोई भी संक्रमित हो सकता है. खंडपीठ ने यह भी कहा कि राज्य में एक-दो ऐसा अस्पताल होना चाहिए, जो हर तरह की आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से लैस हो.

खंडपीठ ने आगे कहा कि पहले रिम्स को देखते हैं, उसके बाद राज्य के अन्य अस्पतालों को देखा जायेगा. रिम्स की ओर से अधिवक्ता डॉ अशोक कुमार सिंह ने पक्ष रखा. वहीं, एमीकस क्यूरी अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने भी अपना पक्ष रखा.

उन्होंने बताया कि कोरोना का संक्रमण बढता जा रहा है. यहां उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने करोना संक्रमण से निबटने की तैयारियों में कमी को लेकर मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा था. हाइकोर्ट ने पत्र को जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.

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