पत्थर खनन लीज मामले में फंसे हेमंत सोरेन चुनाव आयोग को क्या देंगे जवाब? रांची से दिल्ली तक गहमागहमी, विपक्षी भाजपा ने भी कसी कमर

By एस पी सिन्हा | Updated: May 4, 2022 17:07 IST2022-05-04T17:04:34+5:302022-05-04T17:07:39+5:30

चुनाव आयोग ने पत्थर खनन का लीज लेने के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से 10 मई तक जवाब देने को कहा है. सोरेन इस समय हैदराबाद में हैं. माना जा रहा है कि उनके लौटने के बाद जवाब को लेकर मंत्रणा की जाएगी.

Jharkhand Hemant Soren in controversy after Election Commission seeks answer in stone mining lease case | पत्थर खनन लीज मामले में फंसे हेमंत सोरेन चुनाव आयोग को क्या देंगे जवाब? रांची से दिल्ली तक गहमागहमी, विपक्षी भाजपा ने भी कसी कमर

पत्थर खनन लीज मामले में बुरे फंसे हेमंत सोरेन (फाइल फोटो)

Highlightsपत्थर खनन लीज लेने के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से चुनाव आयोग ने 10 मई तक जवाब देने को कहा है।चुनाव आयोग ने जनप्रतिनिधि अधिनियम की धारा 9ए को आधार बनाकर सोरेन से जवाब तलब किया है।माना जा रहा है कि सोरेन हैदराबाद से लौटने के बाद नोटिस पर जवाब को लेकर अपनी तैयारी करेंगे।

रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है. पत्थर खनन का लीज लेने के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 10 मई तक चुनाव आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखना है. इस तरह से रांची हाईकोर्ट के बाद अब भारत निर्वाचन आयोग ने इस मामले में नाराजगी दिखाई है. 

इस मामले में चुनाव आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को पत्र लिखा है. आयोग ने अपने पत्र में कहा है कि दस्तावेजों के ‘प्रमाणीकरण’ कर मुख्य सचिव बताएं कि सोरेन ने रांची के अंगारा ब्लॉक में खनन पट्टा लेने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया है या नही?

चुनाव आयोग ने जनप्रतिनिधि अधिनियम की धारा 9ए को आधार बनाकर सोरेन से जवाब तलब किया है. इस मामले में सोरेन की विधानसभा सदस्यता भी रद्द हो सकती है. इसे लेकर राजनीतिक नैतिकता और संवैधानिक व्यवस्था पर जारी बहस के बीच राज्य में राजनीतिक अनिश्चितता गहराती दिख रही है. सोरेन हैदराबाद से लौटते ही अपनी कोर टीम के साथ चुनाव आयोग को जवाब देने के लिए मंत्रणा करेंगे. इसके लिए मुख्यमंत्री कार्यालय तैयारियों में जुट गया है. 

बता दें कि सोरेन के पास खनन विभाग भी है और उन पर आरोप है कि उन्होंने पत्थर खनन खुद को आवंटित कर लिया है. इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता रघुवर दास के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने फरवरी में राज्यपाल से मुलाकात कर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हटाने की मांग करते हुए इससे संबंधित दस्तावेज सौंपे थे. 

सूत्रों के अनुसार भ्रष्टाचार के ही दो अन्य मामलों में भी हेमंत को नोटिस भेजने की तैयारी हो रही है. मुख्यमंत्री पर पद का दुरुपयोग करते हुए भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. चुनाव आयोग को मुख्यमंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार से जु्डी शिकायत मिली है.

हैदराबाद से लौटने के बाद सोरेन देंगे जवाब

मुख्यमंत्री के करीबी सूत्रों के अनुसार हेमंत सोरेन के हैदराबाद से रांची लौटने के बाद राज्य के अनुभवी अधिवक्ताओं और कुछ राष्ट्रीय स्तर के वकीलों से परामर्श लिया जा सकता है. अभी तक लौटने का कोई कार्यक्रम निर्धारित नहीं होने की वजह से बहुत कुछ तय नहीं हो सका है. मुख्यमंत्री सोरेन पर आरोप है कि उन्होंने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने नाम पर पत्थर खदान का पट्टा लिया. यह खदान रांची जिले के अनगडा मौजा, थाना नं-26, खाता नं- 187, प्लॉट नं- 482 में स्थित है. 

भाजपा ने आरोप लगाया था कि इस पट्टे की स्वीकृति के लिए सोरेन 2008 से ही प्रयास कर रहे थे. मुख्यमंत्री बनने के बाद पत्रांक संख्या 615/एम, दिनांक 16-06-2021 के जरिए पट्टा की स्वीकृति का आशय का पत्र (एलओआई) विभाग द्वारा जारी कर दिया है. यह विभाग मुख्यमंत्री के पास ही है. स्टेट लेबल इंवायरमेंट इंपेक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (एसईआईएए) ने 14-18 सितम्बर 2021 को अपनी 90वीं बैठक में पर्यावरण स्वीकृति की अनुशंसा भी कर दी.

चुनाव आयोग को करना है आखिरी फैसला

मुख्यमंत्री सचिवालय को चुनाव आयोग ने विशेष दूत के माध्यम से नोटिस रिसीव कराया है. मुख्यमंत्री के नाम पर पत्थर खनन का पट्टा जारी होने के बाद पूरा विवाद शुरू हुआ है. हालांकि मुख्यमंत्री को आवंटित खनन पट्टा कुछ ही दिनों बाद सरेंडर कर दिया गया था. इस संबंध में संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप का कहना है कि चूंकि यह मामला चुनाव आयोग के क्षेत्राधिकार में आता है तो अंतिम निर्णय उसे ही करना है, जो बाध्यकारी भी होगा. 

उन्होंने कहा कि आयोग ने नोटिस जारी कर दिया है तो अब सब कुछ सोरेन के जवाब पर निर्भर करेगा. कश्यप का कहना है कि सोरेन का दावा है कि उन्होंने लीज वापस कर दी है और उन्होंने खदान से कोई मुनाफा नहीं कमाया, लेकिन देखना होगा कि वह आयोग के समक्ष किस प्रकार से साक्ष्य रख पाते हैं. 

उन्होंने कहा कि इसके निर्धारण में तीन बिंदु निर्णायक होंगे. पहला यही कि संबंधित उपक्रम का कोई आफिस तो नहीं है, उससे कोई मुनाफा तो अर्जित नहीं हुआ और क्या वह किसी सरकार के अंतर्गत आता है? यदि आयोग का निर्णय सोरेन के खिलाफ आता है तो वह उसे अदालत में चुनौती दे सकते हैं.

सोरेन मांग सकते हैं जवाब के किए और समय

इस बीच बताया जा रहा है कि झामुमो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा अपनी माता के इलाज में व्यस्त रहने की बात व विधि विशेषज्ञों से राय लेने की बात कहकर चुनाव आयोग से अतिरिक्त समय मांगा जा सकता है. इधर झामुमो के वरिष्ठ नेता सुप्रियो भट्टाचार्य दिल्ली रवाना हो गये है. वह इस मामले में विधि-विशेषज्ञों से राय ले रहे हैं. 

दूसरी ओर इसे लेकर भाजपा भी विधि-विशेषज्ञों से बात कर रही है. पार्टी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी व प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश के बीच इस मुद्दे को लेकर बातचीत हुई है. प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश तीन मई की शाम दिल्ली रवाना हो गये हैं. वह वहां पार्टी के आला नेताओं से मुलाकात करेंगे. चुनाव आयोग से मिले पत्र के बाद भाजपा भी कानूनी सलाह ले रही है. राजभवन को पार्टी नेता रघुवर दास ने जो शिकायत पत्र दिये थे, उससे जुड़े दस्तावेज भेजे जायेंगे.

Web Title: Jharkhand Hemant Soren in controversy after Election Commission seeks answer in stone mining lease case

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