Jharkhand: झारखंड में पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला थाना अंतर्गत कालचिती पंचायत के रामचन्द्रपुर से एक हृदय विदारक घटना सामने आई है, जहां मर्द विहीन गांव में अब केवल महिलाएं ही बची हैं। ह्रदय विदारक बात तो उस वक्त सामने आई जब गांव में बचे केवल मर्द की मौत हो जाने के बाद अर्थी को कंधा देने वाला भी कोई नहीं था। ऐसे में परंपराओं का निर्वहन करते हुए गांव की महिलाओं ने अर्थी बनाई और बेटियों ने पिता को कंधा दिया। मृतक की पत्नी अंतिम यात्रा में साथ-साथ चली। प्राप्त जानकारी के अनुसार रामचन्द्रपुर गांव जंगलों की बीच बसा है।
गांव काफी पिछड़ा हुआ है और यहां करीब 28 घर हैं। इन घरों में करीब 80 लोग रहते हैं। गांव में सबर जाति के लोग रहते हैं। इस गांव में गांव के करीब 20 पुरुष मजदूरी के लिए दूसरे राज्यों में रहते हैं। यहीं वजह थी कि इस गांव में जुंआ सबर केवल एक पुरुष बचा था। 40 साल के जुंआ सबर की मौत हो गई। जुंआ सबर गांव में अकेला मर्द था, बाकी के पुरुष गांव से बाहर नौकरी करते हैं।
जुंआ सबर एकमात्र ऐसे पुरुष थे जो गांव में रहते थे। जुंआ सबर पिछले दिनों बीमार हो गया। बीमार होने की वजह से उसकी मौत हो गई। इसकी जानकारी मृतक के बेटे श्यामल सबर को दी गई, जो तमिलनाडु में मजदूरी करता है। उसने आने में असमर्थता जताई।
वहीं, गांव में किसी पुरुष के नहीं रहने की वजह से महिलाओं को ही जुंआ सबर का अंतिम संस्कार करना पड़ा। जुंआ सबर की 14 वर्षीय पुत्री सोनिया सबर ने पिता का अंतिम संस्कार किया। जबकि गांव की महिलाओं और परिवार की औरतों ने मिलकर अंतिम संस्कार करने में सहयोग किया। इस घटना की चारों तरफ चर्चा हो रही है।