लखनऊ: बिहार की सत्ताधारी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय प्रमुख राजीव रंजन सिंह (ललन सिंह) ने 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर बड़ा ऐलान किया है। लोकसभा चुनाव के लिहाज से विपक्षी सिसायत को साधने की भरपूर कोशिश में लगे हुए जदयू प्रमुख ललन सिंह ने कहा कि अगर पार्टी लोकसभा चुनाव में बिहार के पड़ोसी सूबे यूपी का रूख करती है तो स्वाभाविक तौर पर यूपी की सियासत में विपक्षी दल की भूमिका निभा रही समाजवादी पार्टी के साथ जाना पसंद करेगी।
ललन सिंह ने सोमवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कहा कि अखिलेश यादव समाजवादी विचारधारा के हैं और हमारे मित्र भी हैं तो हमें अगर उत्तर प्रदेश में गठबंधन करना होगा तो स्वाभाविक तौर पर हम समाजवादी पार्टी के साथ ही करेंगे। समाजवादी पार्टी हमारा वास्ताविक सहयोगी हो सकता है।
वहीं अगर यूपी की मौजूदा सियासत की बात करें तो जदयू, जो बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के साथ सत्ता पर काबिज है। उसका उत्तर प्रदेश विधानसभा में एक भी विधायक नहीं है। लेकिन ललन सिंह द्वारा सपा के साथ गठंबधन की बात किये जाने से साफ है कि जदयू उत्तर प्रदेश में अपनी जमीन तलाशने के लिए लोकसभा चुनाव में सपा के सहारे दस्तक देने का मूड बना रही है।
दरअसल जनता दल यूनाइटेड को बीते कई लोकसभा चुनावों में, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार में पीएम मैटीरियल दिखाई देता है। इसके साथ ही जदयू इस बात को भी अच्छे से जानती है कि प्रधानमंत्री का तख्त 80 लोकसभा सीटों वाले यूपी में मजबूत दखल रखने से ही मिलने वाला है।
इस कारण कई लोकसभा चुनाव में यूपी के मतदाताओं से गच्चा खा चुकी नीतीश कुमार की पार्टी जदयू एक बार फिर यूपी की लोकसभा सीटों में जीत का विकल्प तलाशने में जुट गई है और उसकी पहली कुंजी अखिलेश यादव की पार्टी सपा के पास मानी जा रही है। इस कारण ललन सिंह सपा को स्वाभाविक सहयोगी बता रहे हैं।
नीतीश कुमार भी साफ कर चुके हैं कि 2025 में वो बिहार की कमान तेजस्वी यादव को सौंपने जा रहे हैं। इस कारण से जदयू अब एक बार फिर से नीतीश कुमार को पीएम पद के लिए प्रोजेक्ट करने में लग गया है। चूंकि नीतीश कुमार कुर्मी बिरादरी से आते हैं। इस कारण से जदयू शुरू से नीतीश कुमार के लिए उत्तर प्रदेश में कुर्मी बाहुल्य तीन सीटों पर नजर लगाये हुए है। इनमें प्रयागराज के फूलपुर के साथ मिर्जापुर और अम्बेडकरनगर लोकसभा सीट का नाम शामिल है।
अगर सपा से जदयू की बात बन जाती है तो हो सकता है कि नीतीश कुमार जातिगत समीकरण के लिहाज से सुरक्षित माने जाने वाली इन तीनों सीटों में से किसी एक सीट पर खड़े होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देते हुए नजर आएं।