जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: बड़ा मैन्युफैक्चरिंग हब बनेगा भारत
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: December 17, 2020 15:22 IST2020-12-17T15:21:37+5:302020-12-17T15:22:15+5:30
भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए कुछ अन्य ऐसे सुधारों की भी जरूरत है, जिससे कारखाने की जमीन, परिवहन और औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए बिजली की लागत आदि को कम किया जा सके.

सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो)
14 दिसंबर को उद्योग संगठन फिक्की के कार्यक्र म में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्नी रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार भारत को विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की संभावनाओं को साकार करने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ रही है. मोबाइल फोन निर्माण में तो चीन को भी पीछे किया जा सकेगा.
गौरतलब है कि मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आर.सी.भार्गव के मुताबिक यदि उद्योग और सरकार साथ मिलकर काम करें तो भारत सस्ती लागत के विनिर्माण में चीन को पीछे छोड़ सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत में दुनिया में सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता वाले कम लागत के उत्पाद बनाए जा सकेंगे और विनिर्माण उद्योग जितनी अधिक बिक्री करेंगे उससे अर्थव्यवस्था में उतने ही अधिक रोजगार सृजित होंगे.
उल्लेखनीय है कि इस समय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्नालय के द्वारा भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए उद्योग जगत को सरकार की तरफ से वित्तीय मदद का सिलसिला तेजी से आगे बढ़ रहा है. आत्मनिर्भर भारत अभियान में मैन्युफैक्चरिंग के तहत 24 सेक्टर का चयन किया गया है जिन्हें प्राथमिकता दी जाएगी.
वाणिज्य व उद्योग मंत्नालय औद्योगिक संगठनों के साथ मिलकर वैसे सेक्टर की भी पहचान कर रहा है जिनमें भारत दुनिया के बाजार में आसानी से मुकाबला कर सकता है और जिनकी उत्पादन लागत अन्य देशों के मुकाबले कम हो.
पिछले माह 11 नवंबर को केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत देश को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के मद्देनजर उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के अंतर्गत 10 सेक्टर के लिए 1.46 लाख करोड़ रु पए के इंसेंटिव देने का फैसला किया है. इस कदम का मकसद देश को वैश्विक सप्लाई चेन का अहम हिस्सा बनाना, देश में विदेशी निवेश आकर्षित करना, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना, निर्यात बढ़ाना तथा रोजगार पैदा करना है.
लेकिन इंडिया को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए कुछ अन्य ऐसे सुधारों की भी जरूरत है, जिससे कारखाने की जमीन, परिवहन और औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए बिजली की लागत आदि को कम किया जा सके. कर तथा अन्य कानूनों की सरलता भी जरूरी होगी. शोध, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के मापदंडों पर आगे बढ़ना होगा. अर्थव्यवस्था को डिजिटल करने की रफ्तार तेज करनी होगी.