श्रीनगर के जामा मस्जिद में ईद की नमाज को लेकर संशय बरकरार, पिछले अनुभव को देखते हुए पुलिस-प्रशासन सतर्क
By सुरेश एस डुग्गर | Published: May 2, 2022 02:45 PM2022-05-02T14:45:03+5:302022-05-02T14:46:59+5:30
श्रीनगर के जामा मस्जिद में 2016 से 2019 के बीच ईद के नमाज के बाद हिंसा और पत्थरबाजी की घटनाएं सामने आती रहाी हैं। इस बार पुलिस और प्रशासन सब कुछ शांति से कराने की कोशिश में जुटा है।
जम्मू: हिंसा के अतीत के अनुभव को लेकर श्रीनगर की जामा मस्दि में ईद की नमाज को लेकर अभी तक पुलिस-प्रशासन और अंजुमे अकाफ जामिया के बीच कोई सहमति न बन पाने का नतीजा है कि नमाजियों में अभी भी असमंजस है कि कल ईद की नमाज कब और कहां होनी है।
दरअसल पुलिस चाहती है कि ईद की नमाज सुबह सात बजे से पहले ही खत्म हो जाए और मस्जिद प्रशासन इसे शांतिपूर्वक आयोजित करवाए तथा किसी भी प्रकार की हिंसा की जिम्मेदारी ले। वहीं, जामिया कमेटी इसके लिए राजी नहीं है। उसका मानना है कि हालात को काबू पाना न ही उसका काम है और न ही उसके बस की बात।
दरअसल वर्ष 2016 से लेकर 2019 तक का अगर रिकॉर्ड देखें तो ईद की नमाज के बाद हिंसा और पथराव होते रहे हैं। इसकी शुरूआत कथित तौर पर हमेशा ही श्रीनगर की जामा मस्जिद से हुई है। इन हिंसा की वारदातों में 27 सुरक्षाकर्मी तथा सैंकड़ों नागरिक जख्मी भी हुए थे। इन मामलों को लेकर नौहट्टा पुलिस थाना में कई केस भी दर्ज हैं।
ईद की नमाज के बाद ही नहीं बल्कि वर्ष 2017 तथा 2019 में शब-ए-कद्र की रात के दौरान भी हिंसा की वारदातों की कथित शुरुआत इसी मस्जिद से हुई है। यही नहीं पिछले कुछ सालों से ऐसी हिंसा की वारदातों का खामियाजा जामिया नौहट्टा के इलाके के लोगों को भी भुगतना पड़ा जो आज तक इन हिंसा की वारदातों में हुए नुक्सान से उबर नहीं पाए हैं।
हालांकि, कोरोना काल में कई महीनों तक इस मस्जिद में जुम्मे की नमाज की इजाजत नहीं दी गई थी। ऐसे में अब शांतिपूर्ण ईद की नमाज आयोजित करवाने को लेकर कौन जिम्मेदारी ले, यह प्रश्न बना हुआ है।