जम्मूः पिछले महीने की 16 तारीख को श्रीनगर के बेमिना इलाके के रहने वाले पीएचडी स्कालर हिलाल अहमद डार को फिलहाल पुलिस ने आतंकी सूची में नहीं डाला है। जबकि उसके प्रति यही कहा जा रहा है कि वह आतंकी गुट में शामिल हो चुका है।
हिलाल की गुमशुदगी और कथित तौर पर आतंकी गुट में शामिल होने की बातों पर पुलिस विश्वास नहीं करती। वह कहती थी कि फिलहाल जांच जारी है। हाल ही के दिनों में शायद हिलाल का पहला मामला था जिसमें पुलिस ने उसके प्रति कोई दावा करने में इतना वक्त लगाया हो।
शायद इसके पीछे का कारण पुलिस को उस बयान के लिए भूमिका तैयार करना भी हो सकता है जिसमें उसने कहा है कि श्रीनगर का कोई भी युवक अब किसी आतंकी गुट में शामिल नहीं है। यह दावा दो दिन पहले एक मुठभेड़ में मारे गए आतंकी की मौत के बाद आईजी विजय कुमार ने किया था।
अब उनके दावों के प्रति सवाल जरूर उठने लगे हैं
हालांकि अब उनके दावों के प्रति सवाल जरूर उठने लगे हैं। कारण स्पष्ट है। आईजी दावा करते थे कि श्रीनगर का कोई भी युवक आतंकी गुट में शामिल हैं तो पीएचडी स्कालर हिलाल डार के प्रति सूत्र कहते थे कि वह आतंकी गुट में शामिल हो चुका है।
ऐसे ही एक दावे में श्रीनगर को आतंकवाद मुक्त बनाने का भी किया गया था और चार दिनों के बाद आतंकियों के साथ श्रीनगर के भीतर हुई लगातार कई मुठभेड़ों ने उस दावे की धज्जियां उड़ा दी थीं। उसके उपरांत पुलिस अधिकारी यह कहने से नहीं चूकते थे कि श्रीनगर कभी आतंकवाद मुक्त नहीं हो सकता क्योंकि श्रीनगर को आतंकी ट्रांजिट रूट के तौर पर इस्तेमाल करते आए हैं।
ऐसे में जबकि 16 जून से दोस्तों के साथ सैर को निकला डार अभी तक वापस नहीं लौटा है और अतीत की घटनाएं दर्शाती हैं कि कश्मीर के कई पढ़े लिखे नौजवान, जिनमें डाक्टर, इंजीनियर, पीएचडी स्कालर आदि भी शामिल थे, आतंकवाद की राह पर चल पड़े थे और फिर सुरक्षाबलों के हाथों मारे गए, ऐसे में डार का क्या हुआ।
इसका जवाब उसके परिजन भी जानना चाहते हैं। फिलहाल उन्होंने डार से घर वापस लौटने की अपील की है और पुलिस से भी उसे तलाश करने की अपील की है। जबकि सच्चाई यह है कि डार की सच्चाई पर ही अब पुलिस के दावे की भी सच्चाई टिकी हुई है।