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जम्मू-कश्मीर: उमर अब्दुल्ला बोले- 'लोगों को यह मत महसूस कराओ कि उनका खून सस्ता है', धारा 370 को लेकर केंद्र पर भी साधा निशाना

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 20, 2023 19:29 IST

पूर्व मुख्यमंत्री ने कुलगाम में संवाददाताओं से कहा, "मामूली आरोपों के तहत गिरफ्तार लेागों को वर्षों तक जमानत नहीं मिल पाती। दूसरी ओर, फर्जी मुठभेड़ मामले में किसी दीवानी अदालत द्वारा नहीं, अपितु सेना के कोर्ट-मार्शल द्वारा हत्या के दोषी ठहराए गए सेना के अधिकारी को जमानत मिल गई।"

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ठळक मुद्देकहा गया था कि कश्मीर में अगर बंदूकें हैं, तो अनुच्छेद 370 के कारण हैं- उमर अब्दुल्लाकोर्ट-मार्शल द्वारा हत्या के दोषी ठहराए गए सेना के अधिकारी को जमानत मिल गई- उमर अब्दुल्लालोगों को यह मत महसूस कराओ कि उनका खून सस्ता है- उमर अब्दुल्ला

श्रीनगर: नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने 2020 अमशीपोरा फर्जी मुठभेड़ मामले में भूमिका के लिए दोषी ठहराए गए सेना के एक कैप्टन को जमानत दिए जाने की सोमवार को आलोचना की। अब्दुल्ला ने इस मामले पर एक सवाल के जवाब में संवाददाताओं से कहा, "मैं केंद्र से अपील करता चाहता हूं कि वह यहां लोगों से न खेले। यहां लोगों को यह मत महसूस कराइए कि हमारा खून इतना सस्ता है कि हत्या के दोषी पाए गए व्यक्ति को इतनी आसानी से जमानत दे दी जाती है।"

दिल्ली सशस्त्र बल न्यायाधिकरण ने दक्षिण कश्मीर के अमशीपोरा गांव में जुलाई 2020 में हुई "योजनाबद्ध" मुठभेड़ में तीन लोगों की हत्या के दोषी पाए गए सेना के कैप्टन भूपेन्द्र सिंह की उम्रकैद की सजा निलंबित कर दी। न्यायाधिकरण ने कैप्टन सिंह को सशर्त जमानत भी दे दी और उन्हें अगले साल जनवरी से नियमित अंतराल पर प्रधान रजिस्ट्रार के सामने पेश होने का निर्देश दिया। पूर्व मुख्यमंत्री ने कुलगाम में संवाददाताओं से कहा, "मामूली आरोपों के तहत गिरफ्तार लेागों को वर्षों तक जमानत नहीं मिल पाती। दूसरी ओर, फर्जी मुठभेड़ मामले में किसी दीवानी अदालत द्वारा नहीं, अपितु सेना के कोर्ट-मार्शल द्वारा हत्या के दोषी ठहराए गए सेना के अधिकारी को जमानत मिल गई।"

इससे पहले कुलगाम में एक जनसभा को संबोधित करते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा,  "हमें कहा गया था कि कश्मीर में अगर बंदूकें हैं, तो अनुच्छेद 370 के कारण हैं। अगर कश्मीर में अलग सोच रखने  वाले लोग हैं, तो सिर्फ धारा 370 के कारण हैं। अगर धारा 370 हटी तो बंदूकों से राहत मिलेगी और सब कुछ ठीक हो जाएगा। अभी एक हफ्ता भर भी नहीं हुआ है जब इस इलाके में मुठभेड़ हुई थी। 5 लोग मारे गए थे। सरकार ने कहा कि वे आतंकवादी थे। उनमें से 4 ने 2020 में और 5 ने 2021 में हथियार उठाए... यह 2019 के बाद था..."

अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने में  देरी को लेकर कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय जब अनुच्छेद 370 संबंधी याचिकाओं पर फैसला सुनाएगी, उसी समय वह चुनावों को लेकर भी निर्णय देगी। उन्होंने कश्मीर में विद्युत आपूर्ति की स्थिति को लेकर चिंता जताते हुए दावा किया कि लोगों को अप्रत्याशित बिजली कटौती झेलनी पड़ रही है। अब्दुल्ला ने कहा, "हमसे चुनाव कराने के नाम पर, बेरोजगारी समाप्त करने के नाम पर, विकास के नाम पर और बिजली के नाम पर धोखा हो रहा है। विद्युत आपूर्ति प्रणाली सुचारू नहीं होने का कारण क्या है? हमारे कार्यकाल में स्थिति इतनी खराब नहीं थी। आज, वे कहते हैं कि उनके पास पर्याप्त निधि हैं। तो फिर वे बिजली का प्रबंध क्यों नहीं करते? लोगों को 12 घंटे की बिजली कटौती क्यों झेलनी पड़ रही है?"

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