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जम्मू कश्मीर में 149 साल पुरानी 'दरबार मूव' प्रथा पर असमंजस, जानिए क्या है यह प्रथा और क्यों पैदा हुई ये स्थिति

By सुरेश एस डुग्गर | Updated: July 1, 2021 15:44 IST

जम्मू कश्मीर में करीब 149 साल से चली आ रही राजधानी बदले जाने की प्रक्रिया जिसे ‘दरबार मूव’ के नाम से जाना जाता है, पर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है।

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ठळक मुद्देजम्मू कश्मीर में दरबार मूव की प्रथा पर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। कर्मचारियों के आवासों के आवंटन को रद्द करने के कारण यह स्थिति बनी है। जम्मू के कर्मचारियों को श्रीनगर और श्रीनगर के कर्मियों को जम्मू में आवास आवंटित थे। 

जम्मू कश्मीर में करीब 149 साल से चली आ रही राजधानी बदले जाने की प्रक्रिया जिसे ‘दरबार मूव’ के नाम से जाना जाता है, पर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। यह असमंजस प्रदेश प्रशासन द्वारा ‘दरबार मूव’ के साथ जुड़े निचले स्तर के सरकारी कर्मचारियों को दो-दो स्थानों पर आबंटित आवासों के आवंटन को रद्द कर उन्हें खाली कर देने के निर्देश से पैदा हुआ है।

जानकारी के लिए 'दरबार मूव' के तहत राजभवन और नागरिक सचिवालय से कई अधिकारी साल में दो बार जम्मू और श्रीनगर स्थानांतरित होते थे। यह प्रथा महाराजा गुलाब सिंह ने 1872 में शुरू की थी जिसके तहत प्रशासन सर्दियों में जम्मू से और गर्मियों में श्रीनगर से काम करता था।

अब संपदा विभाग के आयुक्त सचिव एम राजू की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि श्रीनगर और जम्मू में निचले स्तर के अधिकारियों और कर्मचारियों के आवासीय आवंटन को रद्द करने को मंजूरी दे दी गई है। जम्मू के कर्मचारियों को श्रीनगर में और श्रीनगर के कर्मियों को जम्मू में आवास आवंटित किये गये थे।

जम्मू तथा श्रीनगर में जिन आवासों के आवंटन को रद्द किया गया है उनमें चपरासी से लेकर सीनियर क्लर्क तक के कर्मचारी हैं। जबकि इस निर्देश में उन आईएएस या आईपीएस अधिकारियों के आवासों के प्रति कुछ नहीं कहा गया है जिन्हें जम्मू के साथ-साथ श्रीनगर में आवास आबंटित किए गए हैं और वे दरबार से संलग्न हैं। न ही इनमें केपीएस और केएएस स्तर के अधिकारी शामिल हैं जो भी दरबार मूव के साथ ही जुड़े हुए हैं।

4678 आवासीय इकाइयां 

दरअसल संपदा विभाग की केंद्र शासित प्रदेश में 4,678 आवासीय इकाइयां हैं, जिनमें से 3200 जम्मू में और 1478 श्रीनगर में हैं। कई कर्मचारियों को सरकार की ओर से निजी आवास भी उपलब्ध कराए गए थे। आदेश में कहा गया है कि निचले स्तर के अधिकारी और कर्मचारियों को 21 दिनों के भीतर दोनों राजधानी शहरों में सरकार द्वारा आवंटित अपने आवासों को खाली करना होगा। एक अधिकारी ने बताया कि नागरिक सचिवालय में 10,000 से अधिक कर्मी काम करते हैं और आदेश दरबार स्थानांतरण में शामिल उन सभी कर्मचारियों के लिए है जिन्हें सरकार ने घर दिया था।

कोरोना के कारण भी लगा था झटका

यह सच है कि इस आदेश को ‘दरबार मूव’ की समाप्त समझा जा रहा है जबकि इसके प्रति कोई आधिकारिक वक्तव्य नहीं है और न ही आवास रद्द किए जाने वाले आदेश में ऐसा कुछ कहा गया है। इतना जरूर था कि कोरोना के कारण पिछले साल दरबार मूव की प्रक्रिया को झटका लगा था और इस बार भी ऐसा ही हुआ है। 

सचिवालय का रिकॉर्ड डिजीटलाइज्ड

इस बार के दरबार मूव की खास बात यह थी कि सचिवालय का सारा रिकॉर्ड डिजीटलाइज्ड कर दिए जाने से इस बार ट्रकांं के काफिले ने फाइलों के अंबार को लेकर श्रीनगर की ओर मूव नहीं किया था और ई आफिस व्यवस्था को संभालने के लिए दोनों ही राजधानी शहरों के सचिवालयो मेंं व्यवस्था की गई थी। जिसके तहत अधिकतर कर्मचारियों व अधिकारियों को अपने अपने शहरों में ही रहने के आदेश दिए गए थे।

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