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जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा, कश्मीर भारत का अभिन्न अंग, सभी कश्मीरी हमवतन, अलगाववादी आंदोलन घाटी के लिए खतरनाक

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 12, 2019 11:20 IST

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा है कि कोई भी अलगाववादी आंदोलन न केवल देश के लिए बल्कि कश्मीर के लोगों के लिए भी हानिकारक है। 

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ठळक मुद्देकुछ दिनों पहले ही RSS प्रमुख मोहन भागवत ने जमीयत उलेमा ए हिंद प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी से मुलाकात की थी।जमीयत उलेमा-ए-हिंद  ने कहा, हमें लगता है कि कश्मीरी लोगों के लोकतांत्रिक और मानव अधिकारों की रक्षा करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दिल्ली में आयोजित अपने जनरल मीटिंग में ये संकल्प दोहराया है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और सभी कश्मीरी हमारे हमवतन हैं। 

जमीयत उलेमा-ए-हिंद  ने कहा, हमें लगता है कि कश्मीरी लोगों के लोकतांत्रिक और मानव अधिकारों की रक्षा करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है। फिर भी, यह हमारा दृढ़ विश्वास है कि उनका कल्याण भारत के साथ एकीकृत होने में निहित है। असमान ताकतें और पड़ोसी देश कश्मीर को नष्ट करने पर तुले हुए हैं।

कुछ दिनों पहले ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने जमीयत उलेमा ए हिंद प्रमुख मौलाना सैयद अरशद मदनी से मुलाकात की थी। इस बैठक में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई थी।

यह बैठक शुक्रवार को संघ के कार्यालय केशव कुंज में हुई और इसका आयोजन बीजेपी के पूर्व महासचिव (संगठन) रामलाल ने किया था जो वापस आरएसएस में चले गए हैं। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बैठक के दौरान भागवत ने मदनी को आश्वासन दिया कि भारत में मुसलमानों को डरने की जरूरत नहीं है और संघ की विचारधारा उन्हें हिंदुओं से अलग नहीं मानती है

दरअसल, मदनी ने भागवत से कहा था कि वह वीर सावरकर और एमएस गोलवलकर (आरएसएस का दूसरा सरसंघचालक) की विचारधारा से सहमत नहीं थे और डर और दुश्मनी का मौजूदा माहौल चिंता का कारण है। 

मदनी ने कहा 'बैठक 90 मिनट से अधिक समय तक चली और इसमें विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। भागवत साहब इस बैठक के लिए हवाई मार्ग से नागपुर से यहां आए थे। यह बैठक बहुत ही सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई।'  उन्होंने कहा कि संघ और जमीयत देश में सबसे बड़े गैर राजनीतिक सामाजिक संगठन हैं और वे देश के हित में काम करना चाहते हैं जो उन्हें बातचीत की एक मेज पर ले आया। 

मदनी ने कहा 'हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच एकता को मजबूती करने, भीड़ द्वारा लोगों को पीट-पीटकर मार डालने और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) पर चर्चा हुई।' दोनों नेताओं के बीच यह बैठक असम में एनआरसी की अंतिम सूची सार्वजनिक किये जाने से एक दिन पहले हुई।

मदनी ने यह भी कहा कि उन्होंने बैठक में यह भी कहा कि जमीयत वी डी सावरकर और एम एस गोलवलकर के विचारों से सहमत नहीं है। सम्पर्क किये जाने पर संघ के प्रचार विभाग के पदाधिकारी राजीव तुली ने बैठक की पुष्टि की और कहा कि संघ प्रमुख होने के नाते भागवत समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों से संवाद करते हैं। 

तुली ने कहा 'ऐसी ही एक बैठक के तहत भागवत शुक्रवार को मदनी से मिले। संघ देश में एकता और शांति के लिए काम करता है और जो भी इस प्रयास में शामिल होना चाहता है उसका स्वागत है।' संघ के सूत्रों के अनुसार बैठक इस वर्ष के शुरू में होनी थी लेकिन इसे लोकसभा चुनाव के बाद के लिए टाल दिया गया ताकि बैठक का कोई राजनीतिक अर्थ न निकाला जाए।

टॅग्स :जम्मू कश्मीरआरएसएस
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