जामिया मिलिया इस्लामिया में छात्रों को रहने और खाने की परेशानी, खाली करना पड़ रहा है हॉस्टल

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 18, 2019 19:31 IST2019-12-18T19:31:23+5:302019-12-18T19:31:23+5:30

नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन का हिंसात्मक रूप धारण करने के बाद जामिया विश्विविद्याल को 5 जनवरी तक बंद कर दिया गया है।

Jamia Millia Islamia, students have to face problems of living and eating, emptying hostels | जामिया मिलिया इस्लामिया में छात्रों को रहने और खाने की परेशानी, खाली करना पड़ रहा है हॉस्टल

जामिया मिलिया इस्लामिया में छात्रों को रहने और खाने की परेशानी, खाली करना पड़ रहा है हॉस्टल

Highlightsअधिकतर छात्रों के परिवार वालों ने विश्वविद्यालय की नाजुक स्थिति को देखते उन्हें तुरंत विश्वविद्यालय छोड़कर घर आने लिए कहा है।पिछले साल छात्र इस दौरान अपने हॉस्टल में ही थे और परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे।

राष्ट्रीय राजधानी के 'जामिया मिल्लिया इस्लामिया' में नागरिकता कानून के विरोध में हुई हिंसा के बाद, छात्रों को रहने और खाने की कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। विश्वविद्यालय में उत्पात के चलते छात्रों को मजबूरी में हॉस्टल खाली करना पड़ा। नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन का हिंसात्मक रूप धारण करने के बाद जामिया विश्विविद्याल को 5 जनवरी तक बंद कर दिया गया है। साथ ही छात्र हॉस्टल खाली करके जा रहे हैं। जबकि कुछ छात्र हॉस्टल में अभी भी रुके हुए हैं क्योंकि उन्हें विश्वविद्याल के खुलने के बारें में पक्का नहीं पता है कि जब विश्वविद्यालय दोबारा खलेगा तो वे उस समय आ पाएंगे या नहीं।

जामिया में साइंस पढ़ रहीं 23 साल की वसित शफी नाम की छात्रा ने अपनी आपबीती समाचार एजेंसी एएनआई को बताई। उन्होंने कहा कि 24 दिसंबर को मेरी कश्मीर जाने की टिकट है और मुझे इस टिकट को किसी भी हालत में रद्द करना पड़ेगा। प्रशासन ने कहा है कि विश्वविद्यालय 6 दिसंबर को दोबारा से खुलेंगे। क्या होगा अगर जो परीक्षाएं अब होनी थी वो 6 तारीख के बाद आयोजित की जाएं? क्या होगा अगर मैं परीक्षाओं के समय कश्मीर में मौसम खराब होने के चलते वापस ना सकी? तो मेरा एक खराब हो जाएगा।

इसके अलावा विश्वद्यालय के दूसरे छात्र मोहम्मद अनस भी बताया "ज्यादातर विद्यार्थियों ने विश्वविद्यालय के कैंपस को छोड़कर जा चुके हैं। हालांकि हमारे जैसे छात्र अब भी यहां रुके हुए हैं और परेशानियों का सामना कर रहे हैं। यहां पर हमें खाने की कमी महसूस हो रही है और रात में हमें अपने दोस्तों के यहां रुकना पड़ रहा है।"

हालांकि अधिकतर छात्रों के परिवार वालों ने विश्वविद्यालय की नाजुक स्थिति को देखते उन्हें तुरंत विश्वविद्यालय छोड़कर घर आने लिए कहा है। जिसके बाद सभी छात्रों ने अपना हॉस्टल खाली कर दिया है। हालांकि पिछले साल छात्र इस दौरान अपने हॉस्टल में ही थे और परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे।

विश्वविद्यालय प्रशासन ने बीते रविवार को विश्वविद्यालय के बाहर प्रदर्शन आक्रमक होने के चलते छात्रों से कैंपस खाली करने के लिए कहा था। जामिया की वाइस चांसलर नज्मा अख्तर ने दावा किया कि रविवार रात को पुलिस विश्वविद्यालय के परिसर में घुसी थी। जिसके बाद वो विश्वविद्यालय की सेंट्रल और ऑल्ड लाइब्रेरी में चले गए थे, जहां पर छात्र पढ़ रहे थे।

एएनआई को एक छात्र ने बताया "पुलिस अंदर घुसी और हमें पीटने लगी और उनके साथ कोई महिला पुलिस भी नहीं थी। पुलिस वाइस चांसलर की अनुमति के बिना विश्वविद्यालय में नहीं घुस सकती है। हमें कैसे पता चलेगा कि वे कैंपस में घुसेंगे और हम पर हमला करना शुरू करेंगे।"

रविवार रात को हुई आक्रमक स्थिति के बाद अधिकतर छात्र वहां से भागने की कोशिश करने लगे। उनकी किताबें, बैग और कपड़े जैसी चीजों को अब भी लाइब्रेरी में पड़ा देखा जा सकता है।
एएनआई से बात करते हुए वाइस चांसलर ने कहा "पुलिस लाइब्रेरी में बैठे प्रदर्शनकारियों और छात्रों के बीच अंतर नहीं पहचान सकती थी। बहुत सारे स्टाफ और छात्र घायल हुए हैं। वहां पर बहुत ज्यादा हंगामा किया गया था। पुलिस ऐसा करने की आज्ञा नहीं ले सकती है।

विश्विविद्यालय में लगभग 22,000 हजार रेगुलर छात्र ,7,000 ऑपन के छात्र और 10,000 स्टाफ के लोग हैं। विश्वविद्याल प्रशासन ने आदेश जारी दिया है जिसके तहत फिलहाल छात्र और बाहरी लोगों को विश्वविद्यालय के अंदर आना मना है।

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