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पुण्यतिथि: दलितों के रहनुमा और संस्कृत के विद्वान बाबू जगजीवन राम के बारे में 10 अहम बातें

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: July 06, 2018 7:40 AM

जगजीवन राम का राजनीतिक करियर महज 28 साल की उम्र में शुरू हो गया जब वो 1936 में मनोनीत सदस्य के रूप में बिहार प्रांतीय विधान सभा के सदस्य बने।

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देश के अग्रणी स्वतंत्रता सेनानी और कांग्रेस नेता बाबू जगजीवन राम को सम्मानपूर्वक बाबूजी कहा जाता था। आज उनकी पुण्यतिथि पर हम आपको उनके जीवन से जुड़ी 10 अहम बातों से परिचित कराएंगे। 

1- बाबू जगजीवन राम का जन्म 05 अप्रैल 1908 को बिहार के एक गाँव में हुआ था जो अब भोजपुर जिले में पड़ता है। उनके पिता शोभी राम और माँ वसंती देवी थीं। उनके पिता शिवनारायण संप्रदाय के महंत थे। बाबू जगजीवन राम जब किशोरावस्था में थे तभी उनके पिता का देहांत हो गया। जगजीवन राम ने मैट्रिक की परीक्षा आरा टाउन स्कूल से पास की। आगे की पढ़ाई के लिए वो काशी हिन्दी विश्वविद्यालय चले गये।

2- जगजीवन राम ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से इंटर साइंस की पढ़ाई की। दलित होने के कारण यहाँ उन्हें जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ा। बीएससी की पढ़ाई के लिए जगजीवन राम कोलकाता विश्वविद्यालय चले गये। कहा जाता है कि संस्कृत के विद्वान जगजीवन राम को महामना मदनमोहन मालवीय काशी हिन्दु विश्वविद्यालय में बतौर अध्यापक बुलाना चाहते थे लेकिन वहाँ हुए जातिगत भेदभाव के अनुभवों के चलते जगजीवन राम ने मालवीय का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया।

3- जगजीवन राम ने कोलकाता (तब कलकत्ता) में कई रविदास सम्मेलन आयोजित किए। उन्होंने गुरु रविदास जयंती पर विशेष आयोजन भी किए। 1934 में उन्होंने अखिल भारतीय रविदास महासभा, कोलकाता की स्थापना की। इसी काल में उन्होंने ऑल इंडिया डिप्रेस्ड क्लास लीग की भी स्थापना की।

4- जगजीवन राम का राजनीतिक करियर महज 28 साल की उम्र में शुरू हो गया जब वो 1936 में मनोनीत सदस्य के रूप में बिहार प्रांतीय विधान सभा के सदस्य बने। 1937 में जब कांग्रेस की अंतरिम सरकार बनी तो जगजीवन संसदीय सचिव नियुक्त हुए।

5- 1946 में जब जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में भारत की अंतरिम सरकार बनी तो जगजीवन राम श्रम मंत्री बने। जगजीवन राम संविधान सभा के भी सदस्य थे जिसने देश के संविधान का निर्माण किया। 

6- जगजीवन राम 30 साल से अधिक समय तक केंद्रीय मंत्री के पद पर रहे। 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय जगजीवन राम देश के रक्षा मंत्री थे।

 7- जगजीवन राम 1936 से लेकर 1986 तक संसद या विधान सभा सदस्य रहे। लगातार 50 वर्ष तक किसी ने किसी सदन का सदस्य रहना अपने आप में एक रिकॉर्ड है।

8- 1977 में जगजीवन राम कांग्रेस छोड़कर जनता पार्टी में शामिल हो गये। जनता पार्टी सरकार में वो देश के उप-प्रधानमंत्री रहे।

9-  कहा जाता है कि जब जगजीवन राम कांग्रेस छोड़कर जनता पार्टी में शामिल हो गये उसके बाद जब एक बार उन्होंने दिल्ली के रामलीला मैदान में एक जनसभा बुलायी। तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने उनकी सभा में लोगों को जाने से रोकने के लिए तब हाल ही में रिलीज हुई फिल्म बॉबी का टीवी पर प्रसारण करवा दिया था ताकि वो फिल्म देखने के लालच में रैली में न जाएँ। 

10- जगजीवन राम का 06 जुलाई 1986 को निधन हो गया। जगजीवन राम की बेटी मीरा कुमार कई दशकों तक सांसद रही हैं। मीरा कुनमार साल 2009 से 2014 तक लोक सभा की स्पीकर थीं। मीरा कुमार लोक सभा की पहली दलित महिला स्पीकर रहीं।

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