नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र के पहले दिन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक से अपना इस्तीफा देकर सियासी गलियारों में हलचल मचा दी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा भेजने वाले धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए कहा कि वह तत्काल प्रभाव से पद छोड़ रहे हैं। धनखड़ ने अपने पत्र में कहा, "स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के अनुसार, तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूँ।"
बहरहाल, इस्तीफा देने के एक दिन बाद यानी आज उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है। संविधान के नियमों के अनुसार, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह मंगलवार से नए उपराष्ट्रपति के निर्वाचित होने तक राज्यसभा के सभापति (वी-पी) का कार्यभार संभालेंगे। धनखड़ के इस्तीफे के बाद, भारत के उपराष्ट्रपति का पद - जो राज्यसभा के सभापति भी हैं - अब रिक्त है, जिससे आने वाले दिनों में एक गहन निगरानी वाले और संभावित रूप से उच्च-दांव वाले चुनाव का मार्ग प्रशस्त हो गया है। आइए जानते हैं, कैसे चुना जाता है भारत का उपराष्ट्रपति?
1. निर्वाचन मंडल:
उपराष्ट्रपति का चुनाव एक विशेष निर्वाचक मंडल करता है जिसमें शामिल होते हैं:लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य (नामित और निर्वाचित दोनों)राज्य विधानसभाओं के सदस्य इसमें शामिल नहीं होते।
2. चुनाव की पद्धति:
चुनाव एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत होता है और गुप्त मतदान के जरिए वोट डाले जाते हैं।
3. योग्यता:
उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार को:
भारत का नागरिक होना चाहिएन्यूनतम 35 वर्ष की आयु होनी चाहिएराज्यसभा का सदस्य बनने के योग्य होना चाहिएलाभ के किसी पद पर नहीं होना चाहिए (कुछ अपवाद छोड़कर)
4. नामांकन:
किसी उम्मीदवार के नामांकन के लिए कम से कम 20 प्रस्तावक और 20 अनुमोदक (सेकेंडर) जरूरी होते हैं (ये सभी संसद सदस्य होने चाहिए)।साथ ही एक निश्चित जमानत राशि जमा करनी होती है (वर्तमान में ₹15,000), जो कुछ स्थितियों में जब्त भी हो सकती है।
5. चुनाव की देखरेख:
चुनाव की प्रक्रिया की निगरानी भारत के चुनाव आयोग द्वारा की जाती है।
6. चुनाव का समय:
चुनाव उस समय होते हैं जब मौजूदा उपराष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त होने वाला होता है या पद रिक्त हो जाता है।
चुनाव आयोग समय पर अधिसूचना जारी करता है।
7. कार्यकाल:
उपराष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है, लेकिन वे पुनः निर्वाचित हो सकते हैं।
8. उपराष्ट्रपति की भूमिका:
राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य करते हैं।राष्ट्रपति की अनुपस्थिति, मृत्यु, त्यागपत्र या अपदस्थ होने की स्थिति में कार्यवाहक राष्ट्रपति बन सकते हैं।