नई दिल्ली: एक मई का दिन पूरी दुनिया में मजदूर दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस लेबर डे, श्रमिक दिवस, मई डे के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन श्रमिकों के सम्मान के लिए मनाया जाता है। कई देशों में इस दिन छुट्टी रहती है। कई देशों में विभिन्न तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और श्रमिकों की स्थिति और बेहतर करने पर विचार-विमर्श किया जाता है।
International Labour Day History: क्या है मजदूर दिवस का इतिहास
अमेरिका में मजदूरों ने काम के घंटे तय करने की मांग को लेकर 1877 में आंदोलन शुरू किया। इस दौरान यह दुनिया के विभिन्न देशों में फैलने लगा। एक मई 1886 को पूरे अमेरिका के लाखों मजदूरों ने एक साथ हड़ताल शुरू की। इसमें 11,000 फ़ैक्टरियों के कम से कम तीन लाख अस्सी हज़ार मजदूर शामिल हुए और वहीं से एक मई को मजदूर दिवस के रूप में मनाने की शुरूआत हुई।
शिकागो में एक मई 1886 को हड़ताल के पीछे काम के घंटे को 8 घंटे तक सीमित करने जैसी मांगे शामिल थी। बड़ी संख्या में कामगार सड़कों पर उतरें और इस दौरान पुलिस से इनकी हिंसक झड़प भी हुई। पुलिस की कार्रवाई में कई मजदूर मारे गए और कई घायल हुए। इस घटना की गूंज पूरी दुनिया में पहुंची और मजदूरों के अधिकार की मांग मुखर होती चली गई।
भारत में कब शुरू हुआ मजदूर दिवस?
भारत में पहला मई दिवस या मजदूर दिवस समारोह 1 मई, 1923 को लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान द्वारा मद्रास (अब चेन्नई) में आयोजित किया गया था। इस दिन भारत में पहली बार लाल रंग झंडा मजदूर दिवस के प्रतीक के रूप में उपयोग में लाया गया। किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान के नेता सिंगारावेलु चेट्यार के नेतृत्व में मद्रास हाईकोर्ट सामने बड़ा प्रदर्शन किया गया और इस दिन को पूरे भारत में 'मजदूर दिवस' के रूप में मनाने का संकल्प लिया गया।
मजदूर दिवस पूरे भारत में विभिन्न नामों जैसे 'मई दिवस' या 'अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस', तमिल में 'उझोपलार नाल' और मराठी में 'कामगार दिवस' के तौर पर मनाया जाता है।