तिरंगा... केसरिया, सफेद और हरे रंग से सजा ध्वज। जिसकी शान के लिए ना जाने कितने लोगों ने कुर्बानी दे दी। जिसको लहराता देखकर दिल गर्व से भर उठता है। देशप्रेम की भावना हिलोरे मारने लगती है। जिसका छाया मन में सुरक्षा का भाव लाती है। कुछ दिनों बाद भारत अपना 72वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। इस दौरान गली-मुहल्ले, स्कूल-कॉलेज, कार-बाइक, भवन-कार्यालय हर जगह तिरंगे की धूम दिखाई देगी। क्या आपने कभी सोचा है कि तिरंगा कहां और कैसे बनाया जाता है? आइए पता लगाते हैं...
भारत में तिरंगा बनाने की एकमात्र आधिकारिक फर्म
देश-दुनिया में तिरंगे की आपूर्ति करने के लिए एकमात्र आधिकारिक फर्म है जिसे इंडियन स्टैंडर्ड से स्वीकृति मिली हुई है। इस फर्म का नाम है खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ जो कर्नाटक के हुब्बली में स्थिति है। तिरंगे के लिए खादी कपड़े की आपूर्ति कर्नाटक के बगलकोट में तलसीगेरी गांव से होती है। लालकिला, राष्ट्रपति भवन और अन्य सभी सरकारी संस्थानों में इसी यूनिट से बने तिरंगे ही फहराए जाते हैं।
'द हिंदू' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ की स्थापना 1957 में स्वतंत्रता सेनानी वेंकटेश मगदी और उनके अन्य देशभक्त दोस्तों ने मिलकर की थी। धीरे-धीरे इस खादी संघ ने विस्तार किया और अब इसके पास कई केंद्र हैं जिनके जरिए खादी को बढ़ावा दिया जा रहा है। साल 2005 में इस फर्म ने तिरंगा बनाने की नई यूनिट स्थापित की। इस यूनिट से 2006 में तिरंगा झंडा की आपूर्ति शुरू कर दी गई।
13 साल में 3 करोड़ तिरंगों का निर्माण
खादी ग्रामोद्योग के एक पुराने कर्मचारी हैं एच एन एंटिन। कुछ दिनों पहले फर्म सचिव पद से इनकी सेवानिवृत्ति हुई है। एंटिन ने अपनी जिंदगी का एक बड़ा दौर इस फर्म के नाम कर दिया। 'द बेटर इंडिया' ने एंटिन से बात-चीत के आधार पर लिखा कि इस यूनिट में करीब 50 स्पिनर्स, 30 वीवर्स और 25 सिलाई करने वाले लोग हैं। तिरंगा बनाने वाले अधिकांश कारीगर महिलाएं हैं। उन्होंने बताया कि इस यूनिट में पिछले 13 साल में 3 करोड़ तिरंगे बनाए जा चुके हैं।
यहां बनने वाले तिरंगे सभी राज्य सरकारों को भेजे जाते हैं। इन्हें आधिकारिक इवेंट, सरकारी भवनों, दुनिया भर में भारतीय एम्बेसी, स्कूलों, गांवों और अधिकारियों के वाहनों में लगाया जाता है। एंटिन ने बताया कि इस बात का खास ख्याल रखते हैं कि सभी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाए। बहुत छोटी गलती पर भी उस पीस को रिजेक्ट कर दिया जाता है। हम मशीनों पर भरोसा नहीं करते, सबकुछ हाथ से बनाया जाता है।
क्या है इंडियन फ्लैग कोड?
- भारत के फ्लैग कोड 2002 के मुताबिक तिरंगा सिर्फ खादी या अन्य हाथ से बने कपड़े का होना चाहिए। - किसी अन्य चीज से बना तिरंगा फहराना दंडनीय अपराध है। - इसके लिए जुर्माने का साथ-साथ तीन साल की जेल भी हो सकती है। - तिरंगे के रंग, आकार, धागे इत्यादि में भी गड़बड़ी भी मानहानि मानी जाएगी। - इसके लिए जुर्माना और सजा का प्रावधान है।- तिरंगे का आकार का 3:2 के अनुपात में होना चाहिए।
इन 5 चरणों में बनता है तिरंगाः-
- Hand spinning- Hand weaving- Bleaching and dyeing- Chakra printing- Stitching and toggling.
माना जाता है कि महिलाएँ अपना काम समर्पण और परफेक्शन से करती हैं। तिरंगा बनाने की इस यूनिट में इसका प्रत्यक्ष प्रमाण मिलता है। इस यूनिट में करीब 50 महिलाएं हैं जो आपके स्वाभिमान को जिंदा रखने के लिए जी-तोड़ मेहनत करती हैं। तिरंगे की मांग को देखते हुए इनकी संख्या कम ही है।
अगर आप अगली बार अपने राष्ट्रीय ध्वज को देखें तो उस लोगों को भी जरूर याद रखें तो बिना थके हमारे स्वाभिमान की भावना जगाने के लिए प्रयासरत हैं।
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