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कोटा के अस्पताल में शिशु मौत का आंकड़ा 107 पहुंचा, जानें क्यों हो रही है बच्चों की मौत!

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 4, 2020 12:01 IST

कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों को मरने का सिलसिला थमा भी नहीं था कि कोटा से ही सटे बूंदी के सरकारी अस्पताल में भी काल के गाल में समा रहे बच्चों की खबर सामने आई  हैं। यहां एक महीने में 10 बच्चों की मौत हो चुकी है। बड़े पैमाने पर बच्चों की मौत से प्रशासन पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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ठळक मुद्देशनिवार को लोकसभा स्पीकर और Kota से सांसद ओम बिरला ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की।मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा ,' मैंने केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन को फोन किया और उनसे आग्रह किया कि वे खुद कोटा आएं।

कोटा के अस्पताल में शिशु मौत की संख्या में कोई कमी नहीं हो रही है। आज यह आंकड़ा बढ़कर 107 के करीब पहुंच गया है। कोटा के बाद अब बूंदी से भी इस तरह की खबर सामने आ रही है।

कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों को मरने का सिलसिला थमा भी नहीं था कि कोटा से ही सटे बूंदी के सरकारी अस्पताल में भी काल के गाल में समा रहे बच्चों की खबर सामने आई  हैं। यहां एक महीने में 10 बच्चों की मौत हो चुकी है। बड़े पैमाने पर बच्चों की मौत से प्रशासन पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

क्यों हो रही है बच्चों की मौत?जेके लोन में शिशु रोग विभाग के एचओडी डॉ. एएल बैरवा ने मीडिया को बताया था कि हमारे यहां मरने वाले 70 से 80% बच्चे न्यू बॉर्न होते हैं। इनमें भी सबसे ज्यादा संख्या उन बच्चों की होती है, जो दूसरी जगह से रैफर होकर आते हैं।

कड़ाके की ठंड में नवजातों को दूसरी जगह से यहां लाना खतरनाक है। इसके अलावा, यहां नवजातों में 3 तरह की समस्याओं की वजह से ज्यादा मौतें हुई हैं- 

हाइपोथर्मिया - यह बच्चे में तापमान की कमी से होती है, जिसे ट्रांसपोर्ट इंक्यूबेटर या कंगारू मदर केयर से मेंटेन किया जा सकता है।हाइपोग्लाइसीमिया - ग्लूकोज की कमी से होती है। बच्चे को दूध पिलाते हुए लाएं। यदि दूध नहीं है तो 10% ग्लूकोज फीड कराएं।हाइपोक्सिया - ऑक्सीजन की कमी। ट्रांसपोर्टेशन के दौरान ऑक्सीजन का इंतजाम होना चाहिए, तभी बचाया जा सकता है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला पहुंचे अस्पताल शनिवार को लोकसभा स्पीकर और Kota से सांसद ओम बिरला ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की। उन्होने वहां बताया भी कि केंद्र सरकार की एक टीम भी वहां पहुंच गई है। बिड़ला ने अस्पताल में भर्ता शिशुओं के परिजनों से मिलकर घटना के बारे में जानकारी ली।

इस मामले में प्रदेश के सीएम गहलोत ने क्या कहा?बता दें कि इस मामले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से कोटा के सरकारी अस्पताल का दौरा करने तथा वहां की व्यवस्थाएं व्यक्तिगत रूप से देखने का आग्रह किया। गहलोत ने यह पहल ऐसे समय में की  जब कोटा के जे के लोन अस्पताल में नवजात शिशुओं की लगातार मौत के कारण राज्य सरकार विपक्ष के निशाने पर है।

मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा ,' मैंने केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन को फोन किया और उनसे आग्रह किया कि वे खुद कोटा आएं ताकि देख सकें कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने वहां कैसे श्रेष्ठ सुविधाएं उपलब्ध करवाते हुए व समुचित प्रबंधन किया है।'

टॅग्स :अशोक गहलोतकोटाchild
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