कोटा के इंजीनियर ने रेलवे से 35 रुपए पाने के लिए 5 साल लड़ी लड़ाई, अब IRCTC 2.98 लाख लोगों को 2.43 करोड़ करने जा रहा वापस
By अनिल शर्मा | Published: May 31, 2022 12:43 PM2022-05-31T12:43:12+5:302022-05-31T13:13:21+5:30
स्वामी ने कहा कि IRCTC ने अपने जवाब में कहा है कि वह 2.98 लाख यूजर्स को प्रत्येक टिकट पर 35 रुपए वापस करेगा। ऐसे में कुल वह 2.43 करोड़ रुपए उपयोगकर्ताओं को देगा।
कोटाः राजस्थान के एक इंजीनियार ने रेलवे से 35 रुपए रिफंड पाने के लिए ना सिर्फ 5 साल संघर्ष किया बल्कि 50 आरटीआई दाखिल किए। राजस्थान के कोटा के रहने वाले इंजीनियर सुजीत स्वामी ने रेलवे से 35 रुपए रिफंड पाने के लिए 5 साल लड़ाई लड़ी और आखिर में उन्हें जीत मिली। इससे ना सिर्फ स्वामी के 35 रुपए वापस किए जाएंगे बल्कि ऐसे 3 लाख लोगों के भी पैसे रिफंड होंगे जो टिकट रद्द कराने के वक्त बतौर टैक्स काट लिए गए थे। सुजीत ने एक आरटीआई जवाब के हवाले से कहा हकि रेलवे ने 2.98 लाख IRCTC यूजर्स को रिफंड में 2.43 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है।
दरअसल ये मामला साल 2017 का है। सुजीत स्वामी से रेलवे ने टिकट कैंसल कराने के दौरान 35 रुपए की राशि बतौर सर्विस टैक्स काट ली थी। जबकि उस वक्त जीएसटी सिस्टम भी लागू नहीं था। ऐसे में स्वामी ने अपने 35 रुपए रिफंड को लेकर आरटीआई में 50 आवेदन पत्र डाले। इसके साथ ही चार सरकारी विभागों को भी पत्र लिखा। स्वामी ने बताया कि इसको लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री, रेलमंत्री, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, जीएसटी काउंसिल और वित्तमंत्रालय को भी ट्वीट किया।
स्वामी ने कहा कि IRCTC ने अपने जवाब में कहा है कि वह 2.98 लाख यूजर्स को प्रत्येक टिकट पर 35 रुपए वापस करेगा। ऐसे में कुल वह 2.43 करोड़ रुपए उपयोगकर्ताओं को देगा। स्वामी ने 2017 में स्वर्णमंदिर मेल में अप्रैल में कोटा से दिल्ली तक का टिकट बुक किया था। इसी साल जुलाई में जीएसटी सिस्टम लागू की गई थी। हालांकि स्वामी ने इससे पहले ही टिकट रद्द करा दिया था।
सुजीत स्वामी ने कहा कि 765 रुपए की टिकट थी जिसे रद्द करने के बाद 665 रुपए वापस मिले। रेलवे ने 65 रुपए के बदले 100 रुपए सर्विस टैक्स के तौर पर काट लिए थे। यानी 35 रुपए ज्यादा रेलवे ने ले लिए थे। इसको लेकर स्वामी ने आरटीआई दाखिल किया तो 2019 में 35 के बदले 33 रुपए वापस मिले। 2 रुपए नहीं दिए गए। उन्होंने 2 रुपए के लिए तीन साल और लड़ाई लड़ी। जिसके बाद उन्हें जीत नसीब हुई।