नेट जीरो उत्सर्जन लक्ष्य हासिल करने के लिये भारत को बड़े निवेश की जरूरत होगी : अध्ययन
By भाषा | Published: November 18, 2021 07:07 PM2021-11-18T19:07:26+5:302021-11-18T19:07:26+5:30
नयी दिल्ली, 18 नवंबर सीईईडब्ल्यू-सेंटर फॉर एनर्जी फाइनांस के एक अध्ययन में अनुमान व्यक्त किया गया है कि भारत को वर्ष 2070 तक ‘नेट जीरो उत्सर्जन’ के लक्ष्य को हासिल करने 10 हजार अरब डालर के निवेश की जरूरत होगी ।
सीईईडब्ल्यू-सेंटर फॉर एनर्जी फाइनांस के अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार नेट जीरो के लक्ष्य को हासिल करने के लिये भारत को निवेश में कमी का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में इस अंतर को पाटने के लिये आवश्यक पूंजी जुटाने के वास्ते विकसित अर्थव्यवस्थाओं से रियायती वित्त के रूप में 1.4 हजार अरब डालर के निवेश सहायता की जरूरत होगी ।
गौरतलब है कि भारत ने हाल में ग्लास्गो में सीओपी26 शिखर बैठक में यह घोषणा की थी कि वह 2070 तक कार्बन उत्सर्न को नेट-जीरो करने का लक्ष्य हासिल कर लेगा।
किसी देश में जितना कार्बन पैदा हो रहा है उतना ही उसे सोखने (एब्जॉर्ब) करने का इंतजाम होना चाहिए। नेट जीरो उत्सर्जन का मतलब एक ऐसी व्यवस्था तैयार करना है जिसमें कार्बन उत्सर्जन का कुल स्तर लगभग शून्य हो जाए ।
सीईईडब्ल्यू-सेंटर फॉर एनर्जी फाइनांस के अध्ययन रिपोर्ट ‘इंवेस्टमेंट साइजिंग इंडियाज 2070 ‘‘नेट जीरो टारगेट’ में यह कहा गया है कि इस संबंध में ज्यादातर जरूरत भारत में बिजली क्षेत्र में बदलाव के लिये पड़ेगी । इस अध्ययन के अनुसार भारत को वर्ष 2070 तक ‘नेट जीरो उत्सर्जन’ के लक्ष्य को हासिल करने 10 हजार अरब डालर के निवेश की जरूरत होगी ।
संस्था की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. अरूणभा घोष ने कहा कि सीओपी26 में जलवायु संबंधी भारत की लघु एवं दीर्घकालिक लक्ष्यों की घोषणा साहसिक है और संस्था के विश्लेषण से पता चलता है कि नेट जीरो उत्सर्जन लक्ष्यों को हासिल करने के लिये विकसित देशों से बढ़े पैमाने पर निवेश की जरूरत होगी ।
इसमें कहा गया है कि अक्षय ऊर्जा से बिजली उत्पादन बढ़ाने और इससे जुड़े एकीकरण, पारेषण एवं वितरण के बुनियादी ढांचे को विस्तार देने के लिये भी निवेश की जरूरत होगी । इसके अलावा औद्योगिक क्षेत्रों में कार्बन उत्सर्जन घटाने के मकसद से जरूरी ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता स्थापित करने के लिये भी निवेश की आवश्यकता होगी।
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