डीआरडीओ बना रहा है स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम, 400 किलोमीटर दूर हवा में ही नष्ट हो जाएगी दुश्मन की मिसाइल, जानें क्या है प्रोजेक्ट 'कुशा'
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: October 30, 2023 02:09 PM2023-10-30T14:09:00+5:302023-10-30T14:10:23+5:30
भारत ने 2028-2029 तक अपनी लंबी दूरी की वायु रक्षा प्रणाली को सक्रिय रूप से तैनात करने की योजना बनाई है। यह जो 350 किमी तक की दूरी पर आने वाले स्टील्थ लड़ाकू विमानों, विमानों, ड्रोन, क्रूज़ मिसाइलों और निर्देशित हथियारों का पता लगा सकती है और उन्हें नष्ट कर सकती है।
नई दिल्ली: भविष्य में आने वाली सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय सैन्य प्रतिष्ठान गंभीर हैं। चीन और पाकिस्तान से दोहरे मोर्चे पर खतरे को देखते हुए सबसे बड़ी चुनौती अपने आसमान को सुरक्षित रखने की है। इसी को ध्यान में रखते हुए डीआरडीओ एक महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट को पूरा करने में जुटा हुआ है। ये प्रोजेक्ट है लंबी दूरी का एयर डिफेंस सिस्टम तैयार करने का जो 350 से 400 किलोमीटर की दूरी से ही दुश्मन की मिसाइल, ड्रोन या लड़ाकू विमान को पहचान कर उसे हवा में ही नष्ट कर सके। सरल शब्दों में कहें तो भारत अपना स्वदेशी एस-400/आयरन डोम/पैट्रियट डिफेंस सिस्टम बनाने में जुट गया है।
भारत ने 2028-2029 तक अपनी लंबी दूरी की वायु रक्षा प्रणाली को सक्रिय रूप से तैनात करने की योजना बनाई है। यह जो 350 किमी तक की दूरी पर आने वाले स्टील्थ लड़ाकू विमानों, विमानों, ड्रोन, क्रूज़ मिसाइलों और निर्देशित हथियारों का पता लगा सकती है और उन्हें नष्ट कर सकती है। डीआरडीओ एक महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट 'कुशा'
पर काम कर रहा है। डीआरडीओ द्वारा विकसित की जा रही स्वदेशी लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एलआर-एसएएम) प्रणाली रूसी एस-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा प्रणाली के बराबर होगी।
मई 2022 में सुरक्षा पर कैबिनेट समिति द्वारा "मिशन-मोड" परियोजना के रूप में एलआर-एसएएम प्रणाली के विकास को मंजूरी दी गई थी। रक्षा मंत्रालय ने पिछले महीने भारतीय वायुसेना के लिए अपने पांच स्क्वाड्रनों की खरीद के लिए आवश्यकता (एओएन) की स्वीकृति प्रदान की। इसकी कीमत 21,700 करोड़ रुपये है। लंबी दूरी की निगरानी और अग्नि नियंत्रण रडार के साथ मोबाइल एलआर-एसएएम में विभिन्न प्रकार की इंटरसेप्टर मिसाइलें होंगी जो 150 किमी, 250 किमी और 350 किमी की दूरी पर शत्रु लक्ष्यों को मारने के लिए डिज़ाइन की गई हैं।
लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एलआर-एसएएम) की फायरिंग इकाइयां भारतीय वायुसेना के एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली (आईएसीसीएस) के साथ संपर्क में होंगी। यह एक स्वचालित वायु रक्षा नेटवर्क है जिसमें सैन्य रडार की विस्तृत श्रृंखला को एकीकृत करने के लिए डेटा लिंक बनाए जा रहे हैं। सेना और नौसेना के पास अपने स्वयं के वायु रक्षा हथियार हैं, लेकिन वायुसेना देश के हवाई क्षेत्र की सुरक्षा के लिए समग्र रूप से जिम्मेदार है।
भारत की महत्वाकांक्षी परियोजना 'कुशा' रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरत होने की कोशिशों में जुटे देश के लिए एक मील का पत्थर होने वाली है। अपनी खुद की लंबी दूरी की वायु रक्षा प्रणाली के विकास के साथ, भारत न केवल अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करेगा बल्कि खुद को हवाई खतरों का मुकाबला करने की क्षमता वाले देशों की श्रेणी में भी खड़ा कर लेगा।