एलएसी पर ‘शांति भंग’ की कोशिशों का भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया: कोविंद

By भाषा | Updated: January 29, 2021 13:54 IST2021-01-29T13:54:34+5:302021-01-29T13:54:34+5:30

India gives a befitting reply to 'breach of peace' efforts on LAC: Kovind | एलएसी पर ‘शांति भंग’ की कोशिशों का भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया: कोविंद

एलएसी पर ‘शांति भंग’ की कोशिशों का भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया: कोविंद

नयी दिल्ली, 29 जनवरी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को चीन का नाम लिए बगैर उस पर द्विपक्षीय संबंधों तथा समझौतों को ‘‘दरकिनार’’ कर शांति भंग करने का आरोप लगाया और कहा कि हमारे सुरक्षा बलों ने एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर यथास्थिति बदलने की उसकी कोशिशों का मुंहतोड़ जवाब देते हुए उसे नाकाम किया।

संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने सुरक्षा बलों के शौर्य और पराक्रम की भी जमकर सराहना की और दो टूक शब्दों में कहा कि भारत अपनी रक्षा के लिए पूरी तरह कटिबद्ध है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस कोरोनाकाल में हम जब देश के भीतर आपदाओं से निपट रहे थे, तब हमारी सीमा पर भी देश के सामर्थ्य को चुनौती देने के प्रयास किए गए। एलएसी पर द्विपक्षीय सम्बन्धों और समझौतों को दरकिनार करते हुए शांति भंग करने की कोशिशें हुईं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे सुरक्षाबलों ने न केवल पूरी सजगता, शक्ति और हौसले के साथ इन षड्यंत्रों का मुंहतोड़ जवाब दिया बल्कि सीमा पर यथास्थिति बदलने के सभी प्रयासों को भी नाकाम किया।’’

ज्ञात हो कि पिछले साल जून में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। दोनों देशों की सेनाओं के बीच दशकों में यह सबसे बड़ा टकराव हुआ था।

चीन ने झड़प में मारे गए और घायल हुए अपने सैनिकों की संख्या के बारे में खुलासा नहीं किया लेकिन आधिकारिक तौर पर माना था कि उसके सैनिक भी हताहत हुए। अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक चीनी सेना के 35 कर्मी हताहत हुए।

गलवान घाटी में झड़प के बाद पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनाव और बढ़ गया जिसके बाद दोनों सेनाओं ने टकराव वाले कई स्थानों पर अपने-अपने सैनिकों और भारी हथियारों की तैनाती कर दी।

कोविंद ने भारतीय जवानों की शहादत को नमन करते हुए कहा कि उनके सर्वोच्च बलिदान के प्रति हर देशवासी कृतज्ञ है।

उन्होंने कहा, ‘‘देश के हितों की रक्षा के लिए सरकार पूरी तरह कटिबद्ध है और सतर्क भी है। एलएसी पर भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए अतिरिक्त सैन्यबलों की तैनाती भी की गई है। सरकार देश की एकता और अखंडता को चुनौती देने वाली ताकतों से निपटने के लिए हर स्तर पर प्रयासरत है।’’

राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार भविष्य के भारत की व्यापक भूमिका को देखते हुए अपनी सैन्य तैयारियों को सशक्त करने में जुटी है।

उन्होंने कहा, ‘‘आज अनेक आधुनिक साजो-सामान भारत की सैन्य क्षमता का हिस्सा बन रहे हैं। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर भी सरकार का जोर है। कुछ दिन पहले ही सरकार ने एचएएल को 83 स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस के निर्माण का ऑर्डर दिया है। इस पर 48 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे।’’

कोविंद ने कहा कि सरकार ने ‘‘मेक इन इंडिया’’ को बढ़ावा देने के लिए रक्षा से जुड़े 100 से अधिक सामानों के आयात पर रोक लगा दी है और इसी तरह सुपरसोनिक टॉरपीडो, क्विक रिएक्शन मिसाइल, टैंक और स्वदेशी रायफलों सहित अनेक अत्याधुनिक हथियार देश में ही बन रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘आज भारत रक्षा सामान के निर्यात के क्षेत्र में भी तेज़ी से अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रहा है।’’

भारतीय राष्‍ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (इन-स्‍पेस) का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इसके गठन से अंतरिक्ष के क्षेत्र में बड़े सुधारों को गति मिलेगी।

उन्होंने इस बात पर गर्व किया कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिक चंद्रयान-3, गगनयान और छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान जैसे महत्वपूर्ण अभियानों पर काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘परमाणु ऊर्जा में भी देश तेजी से आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ रहा है। कुछ महीने पहले काकरापार में देश के पहले स्वदेशी दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर का सफल परीक्षण किया गया है।

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