गलवान घाटी में 15 जून की रात क्या हुआ था और कैसे बिहार रेजीमेंट ने चीनी सेना को चटाई धूल? पढ़िए इनसाइड स्टोरी
By विनीत कुमार | Updated: June 21, 2020 14:25 IST2020-06-21T14:25:12+5:302020-06-21T14:25:12+5:30
पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ हुए हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हुए। इस मामले को लेकर अब भी दोनों देशों की ओर से बयानबाजी जारी है।

'वीर-बिहारियों' ने चीन को चटाई धूल (फाइल फोटो- एएनआई)
पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में हुए हिंसक संघर्ष की शुरुआत कैसे हुई थी और उस दिन क्या हुआ था, इसे लेकर जानकारी अब सामने आने लगी है। साथ ही चीन की नापाक हरकतों की कहानी भी अब छन-छन कर बाहर आ रही है। बिहार रेजीमेंट के जवानों ने उस दिन जिस वीरता का परिचय दिया, उसकी भी जानकारी सामने आई है।
दरअसल, 15 जून की शाम पूर्वी लद्दाख में श्योक के वाई जंक्शन और गलवान नदी के पास भारतीय 3 इंफैट्री डिविजन कमांडर कुछ अन्य सीनियर अधिकारियों के साथ भारतीय पोस्ट पर मौजूद थे। दरअसल, दोनों देशों के बीच बातचीत होनी थी।
एएनआई के सूत्रों के अनुसार 16 बिहार रेजीमेंट सहित भारतीय सुरक्षा बलों को ये सुनिश्चित करने के लिए कहा गया था कि क्या चीनी सेना उस पोस्ट से हट गई है, जिसके लिए वो पहले राजी हो चुकी थी। इसे देखने के लिए लिए एक छोटी गश्ती दल को भेजा गया। ये पीपी-14 का प्वाइंट था और चीन के लिए ये एक ऑबजर्वेशन पोस्ट थी।
चीन के इस ऑबजर्वेशन पोस्ट को यहां 10 से 12 चीन के सैनिक देख रहे थे। भारतीय पैट्रोलिंग टीम ने उन्हें यहां से दूर जाने के लिए कहा क्योंकि दोनों सेनाओं के बीच पूर्व में हुई बातचीत में यही तय हुआ था। हालांकि यहां मौजूद चीनी जवानों ने पीछे हटने से मना कर दिया। इसके बाद ताजा हालात की जानकारी देने के लिए भारतीय पेट्रोलिंग दल वापस आया।
जानकारी मिलने के बाद भारतीय पक्ष की ओर से 50 लोगों का दल 16 बिहार कमांडिंग अफसर कर्नल संतोष बाबू के नेतृत्व में दोबारा चीनी सैनिकों को वापस जाने के लिए कहने गया।
चीन ने चली गंदी चाल
इस बीच जब भारतीय पेट्रोलिंग दल वापस आया था, उसी समय चीनी सेना ने उस पोस्ट पर अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा दी और पास के पोस्ट से करीब 300 से 350 चीनी सैनिक वहां आ गये।
सूत्रों के अनुसार जब तक भारतीय दल वहां पहुंचा, चीनी सैनिक अपनी तैयारी पूरी कर चुके थे। उन्होंन पत्थर और दूसरे हथियार भी जमा कर लिए थे कि जिसका वे इस्तेमाल करने वाले थे।
बहरहाल, दोनों ओर से बातचीत शुरू हुई लेकिन ये सफल नहीं रही और बहस शुरू हो गई। इसके बाद भारतीय पक्ष ने गुस्से में चीनी सेनाओं के टेंट वगैरह उखाड़ने शुरू कर दिए। इस बीच पहले से तैयार चीनी सेना ने धावा बोल दिया। सबसे पहली चोट बिहार रेजीमेंट के हवलदार पलानी को लगी। ये देख बिहार रेजीमेंट के अन्य सैनिकों का गुस्सा और बढ़ गया और वे पूरे पराक्रम से चीनी सेना पर हमला करने लगे।
हालांकि, वहां चीनी सैनिकों की संख्या बहुत ज्यादा थी और उन्होंने तैयारी भी कर रखी थी, लेकिन बिहार रेजीमेंट के सैनिकों ने उनका जमकर मुकाबला किया।
तीन घंटे तक जारी रही झड़प
ये झड़प तीन घंटे तक जारी रही। इस दौरान देर रात तक बड़ी संख्या में चीनी सैनिक हताहत हुए। अगली सुबह तक मामला जब कुछ ठंडा हुआ तब तक चीनी सैनिकों के शव वहीं जमीन पर पड़े हुए थे। बाद में सूत्रों के अनुसार भारतीय सैनिकों की ओर से वे शव चीन को लौटाए गए।
मिली जानकारी के अनुसार भारतीय पक्ष से 100 ट्रूप्स इस ऑपरेशन में थे जबकि चीन की ओर से उस समय वहां 350 से ज्यादा सैनिक मौजूद रहे होंगे। हालांकि, इसके बावजूद बिहार रेजीमेंट के जवानों ने पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 से चीनी सैनिकों को उखाड़ फेंका।
सूत्रों के अनुसार पीपी-14, पीपी-15 और पीपी-17A पर गतिरोध को सुलझाने के लिए बातचीत का दौर जारी है। अगले कुछ दिनों में फिर से भारत और चीन के लेफ्टिनेंट जनरल लेवल की मीटिंग की योजना बनाई जा रही है।