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आजादी का अमृत महोत्सव: जानिए तिरंगे पर बने अशोक चक्र के बारे में दिलचस्प बातें

By मेघना सचदेवा | Updated: August 5, 2022 13:17 IST

पीएम नरेंद्र मोदी ने हर घर तिरंगा अभियान का एलान करते हुए देशवासियों से तिरंगा फहराने की अपील की है। इसी के साथ पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में हर घर तिरंगा अभियान के तहत लोगों से यह अपील की है कि वे 2 से 15 अगस्त के बीच अपने सोशल मीडिया प्रोफाल पर तिरंगा लगाए।

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ठळक मुद्देतिरंगे के बीचों बीच सफेद पट्टी पर बने अशोक चक्र को भारत में धर्म चक्र माना जाता है। अशोक चक्र में तीसरी तीली शांति का प्रतीक है तो चौथी त्याग की भावना के विकास की प्रेरणा देती है। अशोक चक की 24 तीलियां मनुष्य के 24 गुणों को प्रदर्शित भी करती है।

भारत आजादी के 75 साल पूरे होने पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। इस मौके पीएम नरेंद्र मोदी ने हर घर तिरंगा अभियान का एलान करते हुए देशवासियों से तिरंगा फहराने की अपील की है। इसी के साथ पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में हर घर तिरंगा अभियान के तहत लोगों से यह अपील की है कि वे 2 से 15 अगस्त के बीच अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल पर तिरंगा लगाए। तिरंगे में अशोक चक्र का अपना एक महत्व है। आईए जानते हैं अशोक चक्र के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें। 

तिरंगे में बने अशोक चक्र और 24 तीलियों का महत्व

तिरंगे के बीचों बीच सफेद पट्टी पर बने अशोक चक्र को भारत में धर्म चक्र माना जाता है। सम्राट अशोक के बहुत से शिलालेखों पर एक चक्र बना हुआ है उसे भी अशोक चक्र कहा जाता है।

पहिया की आकृति में बने अशोक चक्र में 24 तीलियां बनी हैं। हर तीली का भी अपना एक महत्व है। पहली तीली संयमित जीवन जीने की प्रेरणा देती है। जबकि दूसरी निरोगी जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है। तीसरी तीली शांति का प्रतीक है तो चौथी त्याग की भावना के विकास की प्रेरणा देती है। ऐसे ही हर तीली अलग सीख देती है। 

अशोक चक्र की 24 तीलियाँ सभी देशवासियों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में स्पष्ट सन्देश देने के साथ साथ यह भी बतातीं हैं कि हमें अपने रंग,रूप,जाति और धर्म के अंतरों को भुलाकर पूरे देश को एकता के धागे में पिरोए रखना चाहिए। 

आजादी से पहले तिरंगे पर बीचों बीच चरखा था । हालांकि 22 जुलाई 1947 में भारत के राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर अपनाए गए तिरंगे में चरखे की जगह अशोक चक्र था। इस पर महात्मा गांधी ने नाराजगी भी जाहिर की थी।  पिंगली वेंकैया ने तिरंगे को डिजाइन किया था। अशोक चक्र को तिरंगे में रखने का विचार लाला हंसराज का था। 

आजादी से लगभग महीने भर पहले संविधान सभा में इस बात का प्रस्ताव रखा गया कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ध्वज को जरूरी बदलाव के साथ ही भारत के राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर अपना लिया जाए। जिसके बाद उसमें अशोक चक्र को लगाया गया। इस प्रकार कांग्रेस पार्टी का तिरंगा ध्‍वज अंतत: स्‍वतंत्र भारत का तिरंगा ध्‍वज बना।

अशोक चक्र को समय का चक्र भी कहा जाता है। इसकी 24 तीलियां दिन के 24 घंटो को दर्शाती है। 

अशोक चक की 24 तीलियां मनुष्य के 24 गुणों को प्रदर्शित भी करती है। मनुष्य के लिए बनाये गए 24 धर्म मार्ग की तुलना अशोक चक्र की 24 तीलियों से की गई है।

टॅग्स :आजादी का अमृत महोत्सवस्वतंत्रता दिवसनरेंद्र मोदी
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