पहली कक्षा में बच्चों के दाखिले की उम्र सभी राज्यों में, सभी शिक्षा बोर्ड में एक ही होनी चाहिएः चव्हाण
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 25, 2019 02:07 PM2019-07-25T14:07:20+5:302019-07-25T14:07:20+5:30
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, पंजाब और बिहार सहित कुछ राज्यों में पहली कक्षा में प्रवेश के लिए न्यूनतम उम्र छह साल है वहीं त्रिपुरा सहित कुछ अन्य राज्यों में यह पांच साल है। आयु सीमा के निर्धारण की ‘कट ऑफ’ तारीख भी भी कहीं 31 मार्च, कहीं 30 जून और कहीं 30 सितंबर है।
राज्यसभा में बृहस्पतिवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की एक सदस्य ने पहली कक्षा में दाखिले के लिए विभिन्न राज्यों और एक ही राज्य के अलग अलग स्कूलों में आयुसीमा में अंतर होने का मुद्दा उठाते हुए सरकार से मांग की कि इसके लिए आयुसीमा निश्चित की जानी चाहिए।
शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए राकांपा की वन्दना चव्हाण ने कहा कि विभिन्न राज्यों और विभिन्न शिक्षा बोर्ड में न केवल पहली कक्षा में बच्चों के दाखिले की उम्र अलग अलग है बल्कि आयु सीमा के निर्धारण की ‘कट ऑफ’ तारीख भी अलग अलग है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, पंजाब और बिहार सहित कुछ राज्यों में पहली कक्षा में प्रवेश के लिए न्यूनतम उम्र छह साल है वहीं त्रिपुरा सहित कुछ अन्य राज्यों में यह पांच साल है। आयु सीमा के निर्धारण की ‘कट ऑफ’ तारीख भी भी कहीं 31 मार्च, कहीं 30 जून और कहीं 30 सितंबर है।
वन्दना ने कहा कि इसका असर बच्चों के करियर संबंधी संभावनाओं पर पड़ता है क्योंकि एनडीए और यूपीएससी में प्रवेश के लिए पहली कक्षा में पांच साल की उम्र में दाखिले को आधार बनाया गया है। ‘‘इसलिए पहली कक्षा में बच्चों के दाखिले की उम्र सभी राज्यों में, सभी शिक्षा बोर्ड में एक ही होनी चाहिए।’’
राकांपा सदस्य ने कहा ‘‘अगर देश में एक राष्ट्र, एक कर व्यवस्था हो सकती है, अगर हम एक राष्ट्र, एक चुनाव की बात कर रहे हैं तो हमें एक देश, एक कट ऑफ तारीख और एक उम्र सीमा पर भी सोचना चाहिए।’’ विभिन्न दलों के सदस्यों ने उनके इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया।