उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उड़ीसा उच्च न्यायालय के एक आदेश को रद्द कर दिया जिसमें पांच साल की उस बच्ची के पिता की याचिका पर फैसला सुनाया था जिसके साथ पिछले साल कथित रूप से दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी गयी थी। याचिका में मामले में हो रही जांच पर चिंता जताई गयी थी। उच्च न्यायालय ने पिछले साल सितंबर में अपने आदेश में लड़की के पिता को उचित राहत पाने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधान के तहत संबंधित निचली अदालत में जाने को कहा था। शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश को खारिज करते हुए लड़की के पिता द्वारा दाखिल रिट याचिका को बहाल किया ताकि इस पर नये सिरे से विचार किया जा सके। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने यह आदेश सुनाया। नाबालिग बालिका का पिछले साल 14 जुलाई को ओडिशा के नयागढ़ जिले में उसके घर के बाहर खेलते समय कथित रूप से अपहरण कर लिया गया था। कुछ दिन बाद 23 जुलाई को उसके घर के पिछले हिस्से से लड़की का शव मिला। लड़की के माता-पिता ने पिछले साल 24 नवंबर को भुवनेश्वर में राज्य विधानसभा के सामने आत्मदाह की कोशिश की थी, उसके बाद ही घटना प्रकाश में आई। मामले में जांच कर रहे विशेष जांच दल ने पिछले साल एक आरोपी को गिरफ्तार किया था। पीठ ने सोमवार को सुनवाई के दौरान लड़की के माता-पिता की तरफ से पक्ष रख रहे वकील से कहा कि शीर्ष अदालत उन्हें उच्च न्यायालय में जाने की अनुमति देगी तथा पिछले साल सितंबर के आदेश को रद्द करेगी। राज्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि मामले में गिरफ्तार आरोपी के खिलाफ आरोप तय किये गये हैं और मामले में सुनवाई 20 सितंबर को होनी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने मामले में जांच कर रही एसआईटी से सलाह मशविरा करने के बाद उच्च न्यायालय का रुख किया था और कहा कि मामले में अदालत द्वारा निगरानी की जाए। सिब्बल ने कहा कि मामले में अंगों के कारोबार के आरोप शीर्ष अदालत में पहली बार लगाये गये हैं। पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय याचिकाकर्ता को याचिका संशोधित करने का अवसर देकर नये सिरे से मामले पर विचार करेगी।
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