वायु प्रदूषण पर रोक के लिए आयोग के आदेश लागू करें: न्यायालय का केंद्र, एनसीआर राज्यों को निर्देश

By भाषा | Updated: December 3, 2021 20:29 IST2021-12-03T20:29:20+5:302021-12-03T20:29:20+5:30

Implement Commission's order to check air pollution: Court's Centre, directions to NCR states | वायु प्रदूषण पर रोक के लिए आयोग के आदेश लागू करें: न्यायालय का केंद्र, एनसीआर राज्यों को निर्देश

वायु प्रदूषण पर रोक के लिए आयोग के आदेश लागू करें: न्यायालय का केंद्र, एनसीआर राज्यों को निर्देश

नयी दिल्ली, तीन दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के राज्यों को शुक्रवार को निर्देश दिया कि वे वायु प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन पर आयोग के आदेशों को लागू करें।

शीर्ष न्यायालय ने इस बात पर दुख जताया कि मीडिया के कुछ हिस्से ने उसे ऐसे ‘‘खलनायक’’ के तौर पर ‘‘चित्रित’’ किया है, जो (न्यायालय) यहां स्कूलों को बंद कराना चाहता है।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की विशेष पीठ ने कहा कि यदि सरकारें खुद से सबकुछ करे तो जनहित याचिका जैसे उपायों की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। पीठ ने कहा कि न्यायालय मामले को बंद नहीं करेगा तथा प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए राज्यों द्वारा उठाये जाने वाले कदमों की निगरानी करेगा।

पीठ ने कहा, ‘‘ हर दिन, हम इस मामले की निगरानी नहीं कर सकते। हमें उन्हें काम करने देना होगा। हम निगरानी कर रहे हैं और इसके साथ सरकार पर अप्रत्यक्ष रूप से दबाव डाल रहे हैं।’’

इस बीच, पीठ ने दिल्ली सरकार को कोविड-19 की तीसरी लहर की संभावना के मद्देनजर कई स्थानों पर अस्पतालों का निर्माण कार्य बहाल करने की अनुमति दी।

पीठ ने कहा, ‘‘हम दिल्ली सरकार को आदेश में बताये गये उपाय फिलहाल के लिए लागू करने का निर्देश देते हैं और हम मामले को लंबित रखेंगे तथा विषय को अगले शुक्रवार के लिए सूचीबद्ध करते हैं...दिल्ली सरकार द्वार मांगी गई निर्माण कार्य की अनुमति दी जाती है। ’’

पीठ ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और निकटवर्ती इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा उठाए कदमों का भी संज्ञान लिया और केंद्र, दिल्ली और एनसीआर के राज्यों से निर्देशों का पालन करने का आदेश दिया।

आयोग ने एक हलफनामे में पीठ को बताया कि दिल्ली एवं एनसीआर में वायु प्रदूषण को काबू में करने के लिए पांच सदस्यीय एक कार्य बल गठित किया गया है।

हलफनामे में कहा गया है कि 17 उड़न दस्तों का गठन किया गया है, जो न्यायालय और आयोग के आदेशों के तहत विभिन्न कदमों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करेंगे और 24 घंटों में इनकी संख्या बढ़ाकर 40 की जाएगी।

इसमें कहा गया है कि आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति करने वाले और स्वच्छ ईंधन की मदद से चलने वाले ट्रकों को छोड़कर शेष ट्रकों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है।

पीठ ने इन कदमों का संज्ञान लेते हुए कहा, ‘‘हमने केंद्र और दिल्ली सरकार के हलफनामे पर गौर किया है। हमने प्रस्तावित निर्देशों पर विचार किया है। हम केंद्र और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार को निर्देश देते हैं कि वे दो दिसंबर के आदेश लागू करें और हम अगले शुक्रवार को मामले की सुनवाई करेंगे।’’

मामले की सुनवाई की शुरुआत में पीठ ने कुछ समाचारों का जिक्र किया और कहा कि ‘‘जानबूझकर या अनजाने में’’ यह संदेश दिया जा रहा है कि न्यायालय ‘‘खलनायक’’ है और वह स्कूल बंद करने का आदेश दे रहा है।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हमने एक बात पर गौर किया है कि जाने-अनजाने में मीडिया का कुछ हिस्सा हमें ऐसे खलनायक की तरह पेश कर रहा है, जो स्कूल बंद कराना चाहता है। आपने (दिल्ली सरकार ने) अपने आप स्कूल खोल दिए, लेकिन समाचार पत्रों को देखिए...।’’

दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी ने एक मीडिया रिपोर्ट का जिक्र किया और कहा कि एक अंग्रेजी समाचार पत्र ने अपनी खबर में कहा कि शीर्ष अदालत ने प्रशासन अपने हाथ में लेने की धमकी दी है।

इस पर, पीठ ने कहा, ‘‘आप (दिल्ली सरकार) इन सब बातों की निंदा कर सकते हैं, लेकिन हम कहां जाएं? हमने कब कहा कि हम प्रशासनिक भूमिका निभाएंगे।... हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। एक राजनीतिक दल संवाददाता सम्मेलन कर सकता है, लेकिन हम ऐसा नहीं कर सकते।’’

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हल्के फुल्के लहजे में लेखक मार्क ट्वेन को उद्धृत करते हुए कहा, ‘‘यदि आप समाचार पत्र नहीं पढ़ते हैं, तो आपको खबरों की जानकारी नहीं रहती और यदि आप उन्हें पढ़ते हैं, जो आपको गलत जानकारी मिलती है।

पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि वह उन निर्देशों के खिलाफ अपनी शिकायत को लेकर वायु गुणवत्ता प्रबंधन संबंधी आयोग के पास जाए, जिनमें कहा गया है कि एनसीआर में स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल नहीं करने वाले उद्योगों को एक दिन में केवल आठ घंटे चालू रखने की अनुमति दी जाएगी।

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने कहा कि इस मौसम में गन्ने की पेराई का काम लगातार चलता है और ये निर्देश किसानों को नुकसान पहुंचाएंगे।

न्यायालय ने केंद्र और दिल्ली सरकार को प्रदूषण को काबू में करने के लिए 24 घंटे में सुझाव देने का निर्देश देते हुए बृहस्पतिवार को कहा था कि दिल्ली-एनसीआर में खराब होती वायु गुणवत्ता को नियंत्रित करने के लिए जमीनी स्तर पर कोई कदम नहीं उठाया जा रहा।

शीर्ष अदालत पर्यावरण कार्यकर्ता आदित्य दुबे और कानून के छात्र अमन बांका द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने छोटे और सीमांत किसानों को पराली हटाने की मशीन मुफ्त में उपलब्ध कराने के निर्देश देने की मांग की थी।

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