दक्षिण दिल्ली में अवैध मंदिर निर्माण: धार्मिक समिति की भूमिका पर स्पष्टता नहीं : उच्च न्यायालय

By भाषा | Updated: December 7, 2021 16:33 IST2021-12-07T16:33:27+5:302021-12-07T16:33:27+5:30

Illegal temple construction in South Delhi: No clarity on role of religious committee: HC | दक्षिण दिल्ली में अवैध मंदिर निर्माण: धार्मिक समिति की भूमिका पर स्पष्टता नहीं : उच्च न्यायालय

दक्षिण दिल्ली में अवैध मंदिर निर्माण: धार्मिक समिति की भूमिका पर स्पष्टता नहीं : उच्च न्यायालय

नयी दिल्ली, सात दिसंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि अवैध ढांचों को गिराने की सिफारिश करने वाली उपराज्यपाल की अध्यक्षता वाली धार्मिक समिति को अतिक्रमण के मामूली मुद्दों से निपटने की जरूरत है भी या नहीं।

उच्च न्यायालय ने दक्षिणी दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी इलाके में एक प्रॉपर्टी के सामने अवैध रूप से निर्मित मंदिर को अतिक्रमण मानते हुए उसे हटाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की एकल पीठ ने संबंधित पुलिस स्टेशन के एसएचओ को विवादित मंदिर परिसर में चौबीसों घंटे एक पुलिसकर्मी तैनात करने और एक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया, जिसमें यह जानकारी दी गयी हो कि विवादित मंदिर में कितने लोग आते-जाते हैं। इसके साथ ही न्यायालय ने मामले की सुनवाई 16 दिसम्बर के लिए स्थगित कर दी।

उच्च न्यायालय ने इस बात का संज्ञान लिया कि दिल्ली सरकार ने पहले दलील दी थी कि अधिकारियों ने चार अक्टूबर को अवैध ढांचा ढहाने की योजना बनायी थी, हालांकि अब यह मामला धार्मिक समिति को भेज दिया गया है।

दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि चूंकि धार्मिक समिति ने आज तक विवादित ढांचे को ढहाने की मंजूरी नहीं दी है, ऐसे में वह कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हैं।

अदालत ने कहा कि उसे याचिकाकर्ता के वकील की दलील में दम नजर आता है कि एक बार जब अधिकारियों ने ढांचे को हटाने का रुख अख्तियार किया, तो वह अब धार्मिक समिति को मामले को संदर्भित करने के नाम पर रुख में बदलाव नहीं कर सकते।

न्यायमूर्ति पल्ली ने कहा, ‘‘मैं पाती हूं कि इस बात में कोई स्पष्टता नहीं है कि क्या उपराज्यपाल के आदेश के तहत गठित धार्मिक समिति को अतिक्रमण के इतने छोटे मामले से निपटने की आवश्यकता है।’’

इसने अधिकारियों को प्रासंगिक दस्तावेज अदालत के समक्ष पेश करने का निर्देश भी दिया।

याचिकां में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के दौरान, कुछ लोगों ने भीष्म पितामह मार्ग स्थित सार्वजनिक भूमि पर याचिकाकर्ता की प्रॉपर्टी के ठीक सामने अवैध तरीके से मंदिर बना दिया था।

याचिका में दावा किया गया है कि उस स्थान पर लोग उधम मचाते हैं। इतना ही नहीं, यह गैर-कानूनी निर्माण जुए का अड्डा बन गया है।

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Web Title: Illegal temple construction in South Delhi: No clarity on role of religious committee: HC

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