पटना: बिहार में जारी भूमि सर्वेक्षण के बीच यह पता चला है कि पूरे राज्य में सेना की 150 एकड़ से अधिक जमीन पर अवैध कब्जा है। यह जमीनें राज्य के 6 जिलों मुजफ्फरपुर, पटना, रोहतास, गोपालगंज, गया और कैमूर में स्थित हैं। सेना की ओर से इस संबंध में सेना मुख्यालय झारखंड एवं बिहार सब एरिया दानापुर कैंट के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल विकास भारद्वाज ने बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल को पत्र लिखकर जमीनों को मुक्त कराने का अनुरोध किया है। इस पत्र में सेना की डेढ़ सौ से अधिक एकड़ जमीन पर विभिन्न सरकारी विभागों और रैयतों द्वारा अतिक्रमण करने की बात कही गई है।
मेजर जनरल विकास भारद्वाज ने अपने पत्र में कहा है कि बिहार में जमीन सर्वे को लेकर दस्तावेज सही किए जा रहे हैं। लेकिन सेना की जमीन को लेकर बिहार सरकार के भूमि सुधार विभाग और मिलिट्री लैंड रिकॉर्ड में काफी अंतर है। उन्होंने कहा है कि सेना की जमीन का म्यूटेशन जरूरी है और जहां भी अतिक्रमण है, वहां से हटाया जाए। राज्य के 6 जिलों में 150 एकड़ से अधिक जमीन पर सरकारी विभागों और रैयतों का कब्जा है।
सेना के अनुसार मुजफ्फरपुर जिले में सेना की कुल 9.36 एकड़ ज़मीन पर अतिक्रमण है, जिसमें से 4.48 एकड़ पर बिहार सरकार और 4.88 एकड़ पर नागरिकों का कब्जा है। इसी तरह गया जिले में भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को 344.39 एकड़ सेना की जमीन दिए जाने का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है।
यहां सेना के पास कुल 1052.150 एकड़ जमीन में से केवल 1030.23 एकड़ ही बची है, जबकि 96.15 एकड़ को वन विभाग के कब्जे में बताया गया है। दानापुर कैंट एरिया में 0.314 एकड़ जमीन पर बीएसएनएल का कब्जा है। मनेर में 0.227 एकड़ ज़मीन पर पीडब्ल्यूडी, कल्याण पदाधिकारी और एक धार्मिक स्थल स्थित हैं। नौसा में 19.88 एकड़ ज़मीन पर बिहार मिलिट्री पुलिस का पूरी तरह से कब्ज़ा है।
वहीं, हथुआ में 10.003 एकड़ जमीन पर ग्रामीणों का कब्जा है। सासाराम में 10.06 एकड़ ज़मीन पर बीडीओ, ग्रामीण इंजीनियरिंग संगठन और पीडब्ल्यूडी आदि का कब्जा है। सरवन (सासाराम जिला) में 6.36 एकड़ जमीन पर बीएसईबी का कब्जा है। डेहरी ऑन सोन में 1.086 एकड़ ज़मीन पर बिहार पुलिस और नागरिकों का कब्जा है।
इसी तरह जहानाबाद में 18.96 एकड़ ज़मीन पर बिहार सरकार का अतिक्रमण है। सेना के इस पत्र के बाद विभाग के विशेष सचिव ने राज्य के 6 जिलों मुजफ्फरपुर, पटना, रोहतास, गोपालगंज, गया और कैमूर के समाहर्ता को पत्र लिखा है।
पत्र में कहा गया है कि गलत म्यूटेशन के कारण अतिक्रमण और अनावश्यक मुकदमेबाजी के मामले बढ़े हैं। ऐसे में रक्षा भूमि के अभिलेख का रख रखाव, म्यूटेशन और जमीनों को मुक्त कराना अति आवश्यक है। उन्होंने नियमों के तहत त्वरित कार्रवाई करते हुए रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।