अगर कोई आप पर हमला करता है तो हम उन्हें ऐसा जवाब देंगे जिसे वे अपनी जिंदगी भर भूल नहीं पाएंगेः नायडू

By भाषा | Published: September 6, 2019 03:28 PM2019-09-06T15:28:10+5:302019-09-06T15:28:10+5:30

If someone attacks you, we will give them an answer that they will not forget throughout their life: Naidu | अगर कोई आप पर हमला करता है तो हम उन्हें ऐसा जवाब देंगे जिसे वे अपनी जिंदगी भर भूल नहीं पाएंगेः नायडू

उन्होंने हमें स्मरण कराया कि वैज्ञानिक देश को विज्ञान के क्षेत्र में आगे ले जा रहे हैं।

Highlights उपराष्ट्रपति ने कहा ‘‘वसुधैव कुटुम्कबम भारतीय संस्कृति के मूल में रहा है।भारत सबसे बड़ा संसदीय लोकतंत्र है और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की इनमें गहरी आस्था रही है।

उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को परोक्ष रूप से पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि “गंभीर उकसावे” के बावजूद भारत संयम से काम ले रहा है लेकिन अगर हमला हुआ तो ऐसा जवाब दिया जाएगा कि वे भूल नहीं पाएंगे।

उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अपने कार्यकाल के दूसरे वर्ष के दौरान दिये गए 95 भाषणों के संग्रह के विमोचन के अवसर पर यह टिप्पणी की। नायडू ने किसी देश का नाम लिये बगैर कहा, “जैसा कि आप देख रहे होंगे, गंभीर उकसावे के बावजूद, हम कुछ कर नहीं रहे हैं, लेकिन अगर कोई आप पर हमला करता है तो हम उन्हें ऐसा जवाब देंगे जिसे वे अपनी जिंदगी भर भूल नहीं पाएंगे।”

उन्होंने कहा कि यह उकसाने वालों समेत सभी को समझ जाना चाहिए। उनकी टिप्पणी जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को रद्द किये जाने के बाद भारत और पाकिस्तान में बढ़े तनाव के बीच आई है। 

उपराष्ट्रपति की यह टिप्पणी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के चुने हुए भाषणों के संकलन ‘लोकतंत्र के स्वर (खंड-2)’ और ‘द रिपब्लिकन एथिक (वॉल्यूम-2)’ के विमोचन के अवसर पर आई । यह संकलन सूचना और प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन विभाग ने प्रकाशित किया है।

गंभीर रूप से उकसाये जाने के बावजूद हम कुछ नहीं कर रहे हैं

नायडू ने किसी का नाम लिये बिना कहा, ‘‘आपने हाल में देखा होगा कि गंभीर रूप से उकसाये जाने के बावजूद हम कुछ नहीं कर रहे हैं। लेकिन कोई आप पर हमला करता है, तब हम उसे ऐसा जवाब देंगे जिसे वह शेष जीवन में नहीं भूल पायेगा।’

उन्होंने कहा कि यह बात सभी को समझ लेना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा ‘‘वसुधैव कुटुम्कबम भारतीय संस्कृति के मूल में रहा है। भारत सबसे बड़ा संसदीय लोकतंत्र है और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की इनमें गहरी आस्था रही है।’’

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के विचार हमारे मार्गदर्शक हैं जिनमें उन्होंने कहा है कि हम अपने लोकतांत्रिक लक्ष्यों को लोकतांत्रित तरीके से, बहुलतावादी लक्ष्यों को बहुलतावाद के आधार पर, समावेशी लक्ष्यों को समावेशी तरीके से और संवैधानिक लक्ष्यों को संवैधानिक तरीके से हासिल कर सकते हैं।

बहादुर जवान देश की सीमाओं की रक्षा को तत्पर है

नायडू ने कहा ‘‘ उन्होंने हमें स्मरण कराया कि वैज्ञानिक देश को विज्ञान के क्षेत्र में आगे ले जा रहे हैं, बहादुर जवान देश की सीमाओं की रक्षा को तत्पर है और अन्नदाता किसान का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है। इसलिये देश का नारा ‘जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान’ है।’’

उपराष्ट्रपति ने कहा ‘‘राष्ट्रपति के भाषणों में शिक्षा से जुड़े विषयों का महत्वपूर्ण स्थान रहा है । उनके विचार से शैक्षणिक संस्थान डिग्री जारी करने की फैक्टरी नहीं बल्कि नवोन्मेष के केंद्र बनें तथा विश्वविद्यालय न्यू इंडिया का पावर हाउस बनें।’’

उन्होंने कहा कि कोविंद संस्कृत शब्द है जिनका मतलब विशेषज्ञ होता है और हमारे राष्ट्रपति का ज्ञान, आचार, व्यवहार अनुकरणीय है । नायडू ने कहा कि एक ऐसे देश में, जहां इतने राज्य है, जहां 700 से ज्यादा बोलियां बोली जाती हैं, ऐसे में राष्ट्रपति का समावेशी विकास पर जोर महत्वपूर्ण है।

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘मेरा पूरी तरह से मानना है कि भारत इतिहास के महत्वपूर्ण पड़ाव पर है जहां से वह समावेशी विकास की दिशा में बड़ा कदम उठा सकता है । यह सही है कि इसमें बड़ी चुनौतियां और बाधाएं हैं । लेकिन हमारा देश अभूतपूर्व प्रतिभाओं से भरा है।’’

उन्होंने कहा कि हमारे पास आइडिया हैं, नवोन्मेषी क्षमताएं हैं, हमें इनके साथ ऐसा माहौल तैयार करना है जो शानदार बुनियाद पर निर्मित हो । नायडू ने कहा कि स्वच्छ भारत, कौशल सम्पन्न भारत, नवोन्मेषी भारत, फिट इंडिया तथा मजबूत, सशक्त एवं सौहार्द से परिपूर्ण भारत के राष्ट्रपति कोविंद के सपने को हम सभी साझा करते हैं।

उपराष्ट्रपति ने जिन पुस्तकों का विमोचन किया है वे राष्ट्रपति कोविंद के पद संभालने के बाद जुलाई, 2018 से जुलाई, 2019 तक दिए गए 95 भाषणों का संकलन हैं। इस समारोह में सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा ‘‘राष्ट्रपति ने अपने कार्यकाल के दूसरे वर्ष में जो भाषण दिये हैं, उन्हें दो पुस्तकों के रूप में प्रकाशित किया गया है।’’

उन्होंने कहा कि उनके 95 भाषणों को 8 श्रेणियों में विभक्त कर प्रकाशित किया गया है जो दुनिया के संदर्भ में भारत की विश्व दृष्टि को स्पष्ट करते हैं। इसमें शिक्षा के बारे में उनकी शानदार सोच भी सामने आती है । सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि राष्ट्रपति ने अभाव और विषमता देखी है और ऐसे में उन्होंने सामाजिक सरोकारों पर खास जोर दिया है। राष्ट्रपति के भाषणों को आठ श्रेणियों में ‘राष्ट्र को संबोधन’, ‘विश्व का व्यापक परिदृश्य’, ‘भारत में शिक्षा : भारत को समर्थ बनाना’ , ‘जनसेवा का धर्म’, ‘हमारे प्रहरियों का सम्मान’, ‘संविधान और कानून की भावना’, ‘उत्कृष्टता को स्वीकारना’ और ‘महात्मा गांधी : नैतिक प्रतिमान, अन्य लोगों के प्रेरक’ में विभाजित किया गया है।

इन भाषणों में सुशासन के लिए कूटनीति पर ध्यान देने से लेकर, उत्कृष्टता के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना और बहादुर सैनिकों के कल्याण से लेकर संविधान की महत्वपूर्ण भावना जैसे विषयों को शामिल किया गया है। महात्मा गांधी की 150वीं जयंती को ध्यान में रखते हुए, गांधीवादी विचारों से जुड़े भाषणों की एक अलग श्रेणी इसमें शामिल की गयी है। 

Web Title: If someone attacks you, we will give them an answer that they will not forget throughout their life: Naidu

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