जनसंख्या कानून के मुद्दे पर बिहार के सत्तारूढ़ गठबंधन में वैचारिक मदभेद

By भाषा | Published: July 14, 2021 04:18 PM2021-07-14T16:18:03+5:302021-07-14T16:18:03+5:30

Ideological differences in Bihar's ruling coalition on the issue of population law | जनसंख्या कानून के मुद्दे पर बिहार के सत्तारूढ़ गठबंधन में वैचारिक मदभेद

जनसंख्या कानून के मुद्दे पर बिहार के सत्तारूढ़ गठबंधन में वैचारिक मदभेद

पटना, 14 जुलाई बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाने के पक्ष में नहीं होने के बयान और उनकी सहयोगी भाजपा के इस तरह के कठोर उपायों के समर्थन में आने के बाद यहां सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर का वैचारिक मतभेद एक बार फिर धरातल पर आ गया है।

नीतीश ने सोमवार को इस बाबत पूछे जाने पर कहा था, ‘‘हम कानून के पक्ष में नहीं हैं। अलग-अलग राज्य के लोगों की अपनी सोच है, वे अपने ढंग से जो चाहें करें।’’ असम और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में उनके समकक्ष हिमंत विश्व सरमा और योगी आदित्यनाथ के कानून बनाकर ‘‘एक बच्चे की नीति’’ को लागू करने के प्रस्तावों के साथ सामने आने पर इसको लेकर चर्चाएं होनी शुरू हुई।

नीतीश ने कहा था कि जनसंख्या नियंत्रण के लिये अगर सिर्फ आप कानून बनाकर उसका उपाय करेंगे तो ये संभव नहीं है। आप चीन का उदाहरण देख लीजिये। वहां एक बच्चे की नीति बनाई गई और अब देखिए वहां क्या हो रहा। उन्होंने कहा था कि महिलायें जब शिक्षित होंगी तो अपने आप प्रजनन दर घट जायेगा। इसमें किसी भी समुदाय को लेकर बातचीत न हो।

मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘‘बिहार में बालिका शिक्षा पर हमने ध्यान दिया जिसके परिणाम अब सामने आने लग हैं। बिहार में प्रजनन दर चार के ऊपर थी जो घटते-घटते अब तीन के करीब आ गई है।हम समझते हैं कि 2040 तक यह स्थिति नहीं रहेगी और उसके बाद प्रजनन दर में गिरावट आएगी। हम इसी लक्ष्य को ध्यान में रखकर काम कर रहे हैं।’’

वहीं, उपमुख्यमंत्री रेणु देवी ने कहा था कि जनसंख्‍या नियंत्रण के लिए पुरुषों को जागरूक करना ज्‍यादा जरूरी है। उन्‍होंने कहा था कि जनसंख्‍या नियंत्रण के लिए महिलाओं से ज्‍यादा पुरुषों को जागरूक करने की जरूरत है, क्‍योंकि पुरुषों में नसबंदी को लेकर काफी डर देखा जाता है। बिहार के कई जिलो में तो नसबंदी की दर मात्र एक प्रतिशत है।

भाजपा नेत्री रेणु देवी ने कहा कि महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य के लिए सरकारी अस्‍पतालों में कई सुविधाएं दी जाती हैं मगर इन सुविधाओं का लाभ महिलाओं तक तभी पहुंचेगा जब घर के पुरूष जागरूक होंगे और महिलाओं को अस्‍पताल तक लेकर जाएंगे। अक्‍सर देखा गया है कि बेटे की चाहत में प‍तिा और ससुरालवाले महिला पर अधिक बच्‍चे पैदा करने का दबाव बनाते हैं, जिससे परिवार का आकार बड़ा होता जाता है।

उन्‍होंने कहा था कि जनसंख्‍या नियंत्रण के लिए लैंगिक समानता पर भी काम करने की जरूरत है। लोगों को समझना होगा कि बेटा-बेटी एक समान हैं।

केंद्रीय मंत्री और बिहार के मुख्यमंत्री के प्रमुख विरोधियों में से एक भाजपा नेता गिरिराज सिंह द्वारा इस तरह के कानून की मांग कई बार की गई है।

बिहार भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल ने ‘‘एक बच्चे की नीति’’ के पक्ष में बोलने और इसे कानूनी रूप से लागू करने का संकल्प दिखाने के लिए योगी की प्रशंसा की है। भाजपा के विधान पार्षद (एमएलसी) और नीतीश कुमार मंत्रिमंडल में पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा, ‘‘जिनके दो से अधिक बच्चे हैं, उन्हें पहले ही नगरपालिका चुनाव लड़ने से रोक दिया गया है। इसलिए पंचायतों के लिए समान नियम क्यों नहीं हैं? यदि अधिनियम बनाया जाता है, तो इन्हें कुछ महीनों में होने वाले पंचात चुनाव में लागू नहीं किया जा सकता है, लेकिन हम भविष्य के ग्राम निकाय चुनावों के लिए जमीन तैयार कर सकते हैं।’’

भाजपा के एक नेता जो अपना नाम उजागर नहीं करना चाहते, ने कहा कि सभी समुदायों को परिवार नियोजन की आवश्यकता है। हालांकि सबसे बड़ी चुनौती मुसलिम समुदाय में हैं जिनमें बहुविवाह को धार्मिक रूप से मंजूरी दी गई है और जो कांग्रेस नेता संजय गांधी के समय से ही नसबंदी के सबसे प्रबल विरोधी रहे हैं। इसलिए एक ही विकल्प बचा है कि इसपर एक कानून हो।

भाजपा के साथ 1990 के दशक की शुरुआत से चले आ रहे गठबंधन के बावजूद, नीतीश अपने सहयोगी दल की सभी राय से सहमत नहीं रहे हैं। संसद में पारित होने पर उनकी पार्टी जदयू ने तीन तलाक विधेयक का विरोध किया था तथा संशोधित नागरिकता कनून (सीएए) का मानवीय आधार पर समर्थन किया जबकि राज्य विधानसभा में प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक पंजी) के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित करके अपनी मंशा स्पष्ट कर दी थी। दिलचस्प बात यह है कि उक्त प्रस्ताव सदन द्वारा सर्वसम्मति से पारित किया गया जिसमें 50 से अधिक भाजपा विधायक थे।

अपने नेता द्वारा अपनाए जाने वाले वैचारिक रुख को भांपते हुए, अशोक चौधरी और विजय कुमार चौधरी जैसे जदयू के मंत्रियों ने भी जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए एक कानून लाए जाने को निरर्थक बताया था। भाजपा नेता और बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा,‘‘जनसंख्या नियंत्रण आवश्यक है, कानून सिर्फ एक उपाय हो सकता है लेकिन यह निश्चित रूप से पर्याप्त नहीं है। शिक्षा के माध्यम से जन जागरूकता जरूरी है। शुक्र है कि बिहार इस मामले में अच्छा कर रहा है।

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Web Title: Ideological differences in Bihar's ruling coalition on the issue of population law

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