'लोगों की सुरक्षा-उनका हित सबसे बड़ी प्राथमिकता', 15 अगस्त तक कोरोना वैक्सीन बनाए जाने के विवाद पर ICMR की सफाई
By स्वाति सिंह | Published: July 4, 2020 08:18 PM2020-07-04T20:18:20+5:302020-07-04T20:18:20+5:30
आईसीएमआर ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरलॉजी, पुणे और भारत बायोटेक के सहयोग से विकसित होने वाली वैक्सीन ‘कोवाक्सिन’ के ट्रायल में तेजी लाने के लिए दर्जन भर से ज्यादा संस्थानों को पत्र लिखकर 7 जुलाई तक वैक्सीन के मानव परीक्षण के लिए निर्देश जारी किए हैं।
नई दिल्ली: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने द्वारा देश की पहली कोरोना वैक्सीन को 15 अगस्त तक लॉन्च करने की बात पर कई सवाल खड़े हो गए। जिसके बाद आईसीएमआर ने सफाई देते हुए कहा कि भारतीय लोगों की सुरक्षा और उनका हित सबसे बड़ी प्राथमिकता है।
वहीं, आईसीएमआर प्रमुख द्वारा इस सप्ताह की शुरुआत में भेजे गए एक पत्र में कहा गया था कि संस्था स्वतंत्रता दिवस पर कोरोनावायरस वैक्सीन लॉन्च करने के बारे में सोच रही है। इस पर विपक्ष द्वारा आरोप लगाया गया है कि आईसीएमआर ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को राजनीतिक लाभ पहुंचाने के लिए कर रही है।
आईसीएमआर 15 अगस्त तक कोरोना की वैक्सीन लॉन्च की तैयारी में
बता दें कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने देश की पहली स्वदेशी कोरोना वैक्सीन 15 अगस्त तक लॉन्च करने की तैयारी शुरू कर दी है। आईसीएमआर ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरलॉजी, पुणे और भारत बायोटेक के सहयोग से विकसित होने वाली वैक्सीन ‘कोवाक्सिन’ के ट्रायल में तेजी लाने के लिए दर्जन भर से ज्यादा संस्थानों को पत्र लिखकर 7 जुलाई तक वैक्सीन के मानव परीक्षण के लिए निर्देश जारी किए हैं।
आईसीएमआर के डीजी बलराम भार्गव ने भारत बायोटेक को पत्र लिखकर कोरोना की दवा के मानवीय ट्रायल पर तेज गति से काम करने को कहा है। जिससे ट्रायल नतीजे 15 अगस्त तक आ जाएं। हालांकि सवा महीने के ट्रायल पर क्या कोई वैक्सीन लॉन्च हो सकती है? इस सवाल का जवाब भारत सरकार के पास नहीं है और आईसीएमआर ने सवाल पर चुप्पी लगा रखी है भारत बायोटेक को हाल ही में कोरोना वैक्सीन कोवाक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल का जिम्मा मिला था। आईसीएमआर डीजी डा। भार्गव के इस पत्र में लिखा है कि भारत द्वारा कोरोना की दवा के विकास का ये पहला बड़ा प्रयास और बड़ा प्रोजेक्ट है।
क्लीनिकल ट्रायल के लिए 12 संस्थानों का चयन
आईसीएमआर ने देश के पहले स्वदेशी कोविड-19 टीके के क्लीनिकल ट्रायल के लिए 10 संस्थानो और दो चिकित्सक सलाहकारों का चयन किया है, जिनमें दिल्ली का एम्स अस्पताल भी शामिल है। एम्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि निदेशक डा। रणदीप गुलेरिया को आईसीएमआर की ओर से लिखा पत्र मिल चुका है। कोरोना वायरस टीके के मानव क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने के लिए विभाग में चर्चा के बाद ही फैसला लिया जाएगा।
इन इंस्टीट्यूट को ट्रायल के लिए किया गया है शामिल
नागपुर स्थित गिल्लुरकर मल्टीस्पेशलिस्ट हॉस्पिटल, दिल्ली एम्स, आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम स्थित किंग जॉर्ज हॉस्पिटल, रोहतक स्थित पंडित बीडी शर्मा पीजीआईएमएस यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस, पटना एम्स, कर्नाटक स्थित जीवन रेखा हॉस्पिटल, गोरखपुर स्थित राणा हास्पिटल प्राइवेट लिमिटेड, तमिलनाडु स्थित एसआरएम मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, तेलंगाना स्थित निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज पुंजगुट्टा, उत्तर प्रदेश स्थित प्रखर हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड कानपुर, शामिल हैं। इनके अलावा गोवा से डा। सागर विवेक रेडकर और ओडिशास डा। गंगाधर साहू को बतौर कंसल्टेंट शामिल किया गया है।