नई दिल्लीः आयकर विभाग ने कांग्रेस पार्टी के पैसे की लेनदेन से संदर्भ में कर की कथित तौर पर अदायगी नहीं करने के मामले में पार्टी के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल को समन भेजा है।
अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। दूसरी तरफ, कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड का मुद्दा उठाते हुए भाजपा पर पलटवार किया और कहा कि विपक्षी पार्टी पर अंगुली उठाने से पहले राजनीतिक चंदे को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से भ्रष्टाचार को संस्थागत व्यवस्था बनाने की जांच होनी चाहिए। आयकर विभाग ने पहली बार कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल को व्यक्तिगत रूप से अघोषित पार्टी संग्रह और चुनाव खर्चों के लिए 550 करोड़ रुपये पर जवाब मांगा है।
आयकर विभाग ने कांग्रेस के चंदे के संदर्भ में कथित तौर पर कर अदायगी नहीं करने से जुड़े मामले में पार्टी के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल को समन जारी किया है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि पटेल को कांग्रेस के कोषाध्यक्ष के तौर पर उपस्थित होने के लिए नया नोटिस भेजा गया है।
इस नोटिस के बारे में पूछे जाने पर पटेल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि वह इस समन को लेकर हैरान हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे खाते पारदर्शी और स्पष्ट हैं। बेहतर होता कि वे (आयकर विभाग) भाजपा को मिले रिकॉर्ड चंदों को देखते। उन्होंने मुझे बुलाया है तो मैं जरूर जाऊंगा, लेकिन मुझे नहीं पता कि किस कारण मुझे बुलाया गया है।’’ गुजरात से राज्यसभा सदस्य पटेल ने यह दावा भी किया कि भाजपा को नकदी एवं चेक में 10,000 करोड़ रुपये का चंदा मिला जो भारत के इतिहास में किसी भी पार्टी को नहीं मिला।
उन्होंने कहा, ‘‘यह भ्रष्टाचार है।’’ आयकर विभाग के अधिकारियों के मुताबिक राज्यसभा सदस्य पटेल को फरवरी महीने में भी आयकर विभाग के समक्ष उपस्थित होने के लिए समन भेजा गया था, हालांकि उन्होंने उस वक्त विभाग को खुद के अस्वस्थ होने की सूचना दी थी। अब उनके अगले माह की शुरुआत में विभाग के समक्ष उपस्थित होने की संभावना है।
अधिकारियों का कहना है कि विभाग पटेल से पूछताछ कर कांग्रेस की आय, चंदे और खर्च के बारे में समझना चाहता था। उनसे पिछले साल मध्य प्रदेश, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के कई स्थानों की तलाशी में बरामद दस्तावेजों के संदर्भ में पूछताछ की जाएगी। आयकर विभाग को संदेह है कि इन लेनदेन में अनियमितताएं बरती गईं और इसी को लेकर अतीत में उसने कांग्रेस के कई पदाधिकारियों से पूछताछ भी की। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने पिछले साल नवंबर में एक बयान जारी कर कहा था कि दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद सहित 42 स्थानों पर तलाशी ली गई ताकि कर अदायगी नहीं करने के मामले को उजागर किया जा सके।
उसने कहा था कि फर्जी बिल जारी करने और कथित तौर पर हवाला से लेनदेन को लेकर कुछ लोगों के यहां तलाशी की गई थी। कहा जा रहा है कि इन तलाशी का इस मामले की जांच से संबंध है। आयकर विभाग के अधिकारियों ने मध्य प्रदेश में 52 स्थानों पर छापेमारी की थी। इनमें मुख्यमंत्री कमलनाथ के कुछ सहयोगी भी शामिल थे। अधिकारियों के मुताबिक इन छापेमारियों में कुछ ‘दस्तावेज और सबूत’ मिले थे जो इस मामले का आधार हैं।
सीबीडीटी ने कहा था कि आयकर विभाग ने छापेमारियों के दौरान करीब 281 करोड़ रुपये के हवाला गिरोह की पहचान की थी। उसने कहा था कि छापेमारियों में 14.6 करोड़ रुपये की नकदी, डायरी और कंप्यूटर फाइल बरामद की गई।