मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन आएगा, जब मुझे अपने प्रिय दोस्त जेटली जी को श्रद्धांजलि देनी होगीः पीएम मोदी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 10, 2019 07:33 PM2019-09-10T19:33:32+5:302019-09-10T19:33:32+5:30
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रार्थना सभा में कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन आएगा, जब मुझे अपने दोस्त को श्रद्धांजलि देनी होगी। हम इतने लंबे समय से दोस्त थे, लेकिन मैं उन्हें अपना अंतिम सम्मान नहीं दे सका, इसके कारण मेरे दिल पर हमेशा बोझ रहेगा।
पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की याद में जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लालकृष्ण आडवाणी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, जेपी नड्डा, अभिषेक मनु सिंघवी, दिनेश त्रिवेदी, शरद पवार, अरुण जेटली की पत्नी संगीता जेटली व परिवार के लोग शामिल हुए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रार्थना सभा में कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन आएगा, जब मुझे अपने दोस्त को श्रद्धांजलि देनी होगी। हम इतने लंबे समय से दोस्त थे, लेकिन मैं उन्हें अपना अंतिम सम्मान नहीं दे सका, इसके कारण मेरे दिल पर हमेशा बोझ रहेगा। हम सबने कुछ न कुछ खोया है, अरुण जी की उत्तम स्मृतियों से प्रेरणा लेते हुए हम सभी कुछ न कुछ देश और समाज के लिए करने के एक भी अवसर को नहीं जाने देंगे।
Prime Minister Narendra Modi at prayer meet for late Arun Jaitley in Delhi: I never thought a day will come when I'll have to pay tribute to my friend.We were friends for so long but I couldn't pay my last respects to him, there will always be a burden on my heart because of it. pic.twitter.com/QLYNm9WKYv
— ANI (@ANI) September 10, 2019
छात्र राजनीति की नर्सरी में पैदा हुआ पौधा हिंदुस्तान की राजनीति के विशाल फलक में एक वट वृक्ष बनकर उभर आए ये अपने आप में बहुत बड़ी बात है। प्रतिभा को एक निश्चित दिशा में ढाल करके उन्होंने हर काम में एक नई ऊर्जा और एक नई सोच दी। अरुण जी का जीवन इतनी विविधताओं से भरा हुआ था कि दुनिया की किसी भी Latest चीज की बात निकालिये, वो उसका पूरा कच्चा चिट्ठा खोल देते थे, उनके पास जानकारियों का भंडार था।
वे लंबे समय तक बीमार थे, लेकिन आखरी दिन तक अगर उनसे सामने से पूछा जाए तो भी, वे अपनी बात बताने में या अपने स्वास्थ्य के बारे में बताने में समय खर्च नहीं करते थे। उनका मन हमेशा देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए रम गया था। यही उनकी ऊर्जा, उनका सामर्थ्य था।
पिछले दिनों अरुण जी के लिए जो लिखा गया है, उनके लिए जो कहा गया है और अभी भी अनेक महानुभावों ने जिस प्रकार से अपनी स्मृतियों को यहां ताजा किया है इस सबसे अनुभव कर सकते हैं कि उनका व्यक्तित्व कितना विशाल था, कितनी विविधताओं से भरा हुआ था। वे सर्वमित्र थे, वे सर्वप्रिय थे और वे अपनी प्रतिभा, पुरुषार्थ के कारण जिसको जहां भी उपयोगी हो सकते थे, वे हमेशा उपयोगी होते थे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जो भी अरुण जी से मिलता था, स्वाभाविक रूप से उनका कायल हो जाता था। उनसे पहली मुलाकात में ही मैं उनकी योग्यता और कार्यक्षमता का कायल हो गया था। पार्टी अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मेरे जीवन में कठिन से कठिन समय जब आया, मैं दिल्ली आया तो मुझे कभी नहीं लगा कि मैं अपने प्रदेश से बाहर आया हूं। वो हमेशा एक बड़े भाई की तरह खड़े रहे, चट्टान के जैसे मेरे साथ खड़े रहे। चाहे पार्टी के अंदर बात करनी हो, चाहे कानूनी लड़ाई लड़नी हो।
सार्वजनिक जीवन में पार्टी लाइन को क्रॉस करते हुए ढेर सारे लोगों से मित्रता के संबंध बनाना उनकी विशेषता थी। अपने से आयु में बड़े, हमउम्र और अपने से छोटे सभी पार्टी कार्यकर्ताओं को अपना मित्र बनाने की कला अरुण जी के पास थी। अरुण जी संसद के अंदर एक जागरूक सांसद, एक ओजस्वी वक्ता थे और देश के हित के मुद्दों को पार्टी लाइन से ऊपर उठाकर, कैसे देश के मुद्दे बना सकते हैं, ये बात अरुण जी ने सबके सामने रखी।
अपने बारे में सोचे बिना और अपनी पार्टी व विचारधारा के बारे में सोचते हुए कोई व्यक्ति कैसे अंतिम सांस तक काम कर सकता है, उसका अरुण जी उत्कृष्ट उदाहरण हैं। अरुण जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, सार्वजनिक जीवन के कई क्षेत्रों में उनका दखल रहता था और वह समय-समय पर मार्गदर्शन भी करते थे।
अरुण जी के असमय चले जाने से देश, देश की संसद, भाजपा, उनके परिवार और मेरी निजी क्षति हुई है। ये जो रिक्तता उनके जाने से सार्वजनिक जीवन में बन गई हो, वो लंबे समय तक नहीं भर पाएगी। अरुण जेटली जी के चले जाने से भाजपा को जो नुकसान हुआ है वो बयान नहीं किया जा सकता।
उनका जीवन पार्टी के प्रति समर्पित था। छात्र जीवन में जब युवा अपने करियर को तलाशते हैं, तब वो आपातकाल के दौरान जेल गए। जेपी आंदोलन में उन्होंने कई युवाओं को प्रेरित किया। विपक्ष के लोग भी उनकी विद्वता और राजनीतिक कौशल का लोहा मानते रहे, लेकिन साथ ही साथ हमेशा उन्हें आदर के भाव से देखा।अरुण जेटली जी के रूप में देश ने एक उच्चतम कोटि का नेता असमय खो दिया। उनकी कमी सिर्फ भाजपा को ही नहीं बल्कि राजनीतिक दृष्टि से हर किसी को खलती रहेगी।