सुप्रीम कोर्ट: सरकारी नौकरी में SC/ST को आरक्षण पर सुनवाई शुरू, एटॉर्नी जनरल ने कहा- एक हजार साल से हुआ उत्पीड़न
By रामदीप मिश्रा | Updated: August 3, 2018 16:11 IST2018-08-03T16:11:27+5:302018-08-03T16:11:27+5:30
शुक्रवार को अटर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अपनी राय देते हुए कहा कि एससी/एसटी वर्ग के लोगों को सरकारी नौकरियों में पदोन्नति पर आरक्षण होना चाहिए या नहीं मैं इसपर टिप्पणी नहीं करुंगा, लेकिन इन लोगों ने पिछले 1000 साल से अत्याचार झेला है और आज भी झेल रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट: सरकारी नौकरी में SC/ST को आरक्षण पर सुनवाई शुरू, एटॉर्नी जनरल ने कहा- एक हजार साल से हुआ उत्पीड़न
नई दिल्ली, 03 अगस्तः देश की शीर्ष अदालत यानि सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ सरकारी नौकरी में पदोन्नतियों में अनुसूचित जाति (एसी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणियों में आरक्षण के लिए क्रीमी लेयर मुद्दे को लेकर उसके 12 वर्ष पुराने फैसले पर फिर से विचार कर रही है। इसके लिए इस पर सुनवाई शुरू हो गई है।
शुक्रवार को अटर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अपनी राय देते हुए कहा कि एससी/एसटी वर्ग के लोगों को सरकारी नौकरियों में पदोन्नति पर आरक्षण होना चाहिए या नहीं मैं इसपर टिप्पणी नहीं करुंगा, लेकिन इन लोगों ने पिछले 1000 साल से अत्याचार झेला है और आज भी झेल रहे हैं।
The Supreme Court's five-judge Constitution bench is examining whether its 12-year-old verdict that had dealt with the issue of providing reservations to SC and ST categories in government job promotions is right or wrong. https://t.co/CW7rmfUIFx
— ANI (@ANI) August 3, 2018
बता दें, इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ विचार कर रही है। जिसमें प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति इंदू मल्होत्रा शामिल हैं।
उच्चतम न्यायालय ने गत 11 जुलाई को 2006 के अपने फैसले के खिलाफ कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि पांच न्यायाधीशों की एक पीठ पहले यह देखेगी कि क्या इसकी सात न्यायाधीशों की पीठ द्वारा फिर से विचार करने की जरूरत है। उसने कहा था कि वह मामले पर केवल अंतरिम राहत के उद्देश्य से सुनवायी नहीं कर सकती क्योंकि इस संबंध में उल्लेख पहले ही संविधान पीठ को किया जा चुका है।
2006 के एम नागराज फैसले में कहा गया था कि सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति श्रेणियों के लिए पदोन्नति में क्रीमी लेयर की अवधारणा लागू नहीं की जा सकती जैसा कि पहले के दो मामलों ....1992 के इंदिरा साहनी और अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया तथा 2005 के ई वी चिन्नैया बनाम स्टेट ऑफ आंध्र प्रदेश में फैसले दिये गये थे। ये दोनों फैसले अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी में क्रीमी लेयर से जुड़े थे।
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