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ममता बनर्जी ने दी अपने बयान पर सफाई, कहा- उन्हें गुजराती भाषा में JEE की परीक्षा के आयोजन पर कोई समस्या नहीं

By रामदीप मिश्रा | Updated: November 7, 2019 18:22 IST

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा, 'मुझे गुजराती भाषा में आयोजित संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) मेन से कोई समस्या नहीं है।'

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ठळक मुद्देपश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संयुक्त प्रवेश परीक्षा (मुख्य) गुजराती भाषा में कराने के लिए केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना थी। अब उन्होंने अपने बयान पर सफाई दी है और कहा है कि उन्हें गुजराती भाषा में जेईई की परीक्षा के आयोजन पर कोई समस्या नहीं है।      

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संयुक्त प्रवेश परीक्षा (मुख्य) गुजराती भाषा में कराने के लिए केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना थी। बवाल मचने के बाद अब उन्होंने अपने बयान पर सफाई दी है और कहा है कि उन्हें गुजराती भाषा में जेईई की परीक्षा के आयोजन पर कोई समस्या नहीं है।      

समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा, 'मुझे गुजराती भाषा में आयोजित संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) मेन से कोई समस्या नहीं है।' आगे उन्होंने केंद्र की सरकार पर हमला बोलते हुए हुए कहा कि हमारे शिक्षा मंत्री ने बंगाली में परीक्षा आयोजित करने के लिए इस मुद्दे पर राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) को भी लिखा था। इससे पहले उन्होंने केन्द्र से पूछा था कि बंगाली समेत सभी अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को भी शामिल क्यों नहीं किया जाना चाहिए। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने 2014 में उर्दू, मराठी और गुजराती भाषा को परीक्षा के माध्यम के रूप में जोड़ा था। हालांकि 2016 में उर्दू और मराठी को हटा दिया गया लेकिन हिंदी और अंग्रेजी के साथ गुजराती जारी रही। 

बनर्जी ने ट्वीट कर कहा थी कि संयुक्त प्रवेश परीक्षाएं लंबे समय से अंग्रेजी और हिंदी भाषाओं में कराई जा रही है। हैरानी की बात है कि अब केवल गुजराती भाषा को जोड़ा गया है। ऐसा कदम बिल्कुल सराहनीय नहीं है। यदि गुजराती भाषा वहां है तो बंगाली समेत सभी क्षेत्रीय भाषाओं को भी वहां होना चाहिए।

उन्होंने कहा था कि हमारा देश भारत है, जो इतने सारे धर्मों, संस्कृतियों, भाषाओं, पंथों और समुदायों का एक केन्द्र है। हालांकि, केन्द्र सरकार की मंशा सभी क्षेत्रों और क्षेत्रीय भाषाओं की छवि खराब करने की है। मैं गुजराती भाषा को पसंद करती हूं। लेकिन अन्य क्षेत्रीय भाषाओं की अनदेखी क्यों की जा रही है? उनके साथ अन्याय क्यों किया जा रहा है।

इधर, उन्होंने गुरुवार को एनआरसी को लेकर कहा कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) 11 नवंबर को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेगी। बता दें कि ममता बनर्जी एनआरसी को लेकर लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर हैं और वह कई बार कह चुकी हैं कि वे पश्चिम बंगाल में एनआरसी को किसी भी कीमत पर लागू नहीं होने देंगी।   

टॅग्स :ममता बनर्जीपश्चिम बंगालटीएमसीएनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक पंजिका)
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