Hyderabad MLC Election: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के उम्मीदवार मिर्जा रियाज उल हसन एफेंडी शुक्रवार को तेलंगाना के हैदराबाद स्थानीय प्राधिकरण (एचएलए) निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद के सदस्य चुने गए। उन्होंने 23 अप्रैल को हुए चुनाव में भाजपा के एन गौतम राव को 38 वोटों से हराया, जिसमें 79 प्रतिशत मतदान हुआ था। द्विवार्षिक चुनाव की आवश्यकता इसलिए पड़ी, क्योंकि मौजूदा सदस्य एम एस प्रभाकर राव 1 मई को अपना कार्यकाल पूरा कर लेंगे। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एन गौतम राव को हराया है।
गत 23 अप्रैल को हुए चुनाव में केवल एआईएमआईएम और भाजपा ने ही उम्मीदवार खड़े किए थे। सत्तारूढ़ कांग्रेस और मुख्य विपक्षी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि एआईएमआईएम के उम्मीदवार ने कुल पड़े 88 वोट में से 63 हासिल किए। वहीं भाजपा उम्मीदवार को 25 वोट मिले।
एलएमसी चुनाव में कुल 112 मतदाता पात्र थे जिनमें ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) के 81 पार्षद और 31 पदेन सदस्य (विधानसभा सदस्य, सांसद और विधान परिषद सदस्य) शामिल थे। 112 मतदाताओं में ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) के 81 पार्षद और 31 पदेन सदस्य (विधायक, सांसद और एमएलसी) शामिल हैं। चुनाव में 66 पार्षदों और 22 पदेन सदस्यों ने मतदान किया।
सत्तारूढ़ कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे। इन 112 में से एआईएमआईएम और भाजपा के पास चुनाव में क्रमशः 49 और 29 मतदाता माने जा रहे थे। भाजपा ने कांग्रेस और बीआरएस पर चुनाव से दूर रहकर एआईएमआईएम को चुनाव में मदद करने का आरोप लगाया है।
पिछले कुछ दिन में हैदराबाद में कुछ जगहों पर हिंदुओं को संबोधित करते हुए बैनर लगाए गए थे, जिसमें जीएचएमसी के पार्षदों से अपने मताधिकार का उपयोग करने और एआईएमआईएम के खिलाफ वोट देने की अपील की गई थी, जो कथित तौर पर हिंदुओं का अपमान कर रही है।
बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के टी रामाराव ने कहा था कि उनकी पार्टी ने चुनाव से दूर रहने का फैसला किया है क्योंकि उनके पास जीतने के लिए आवश्यक संख्या नहीं है। उन्होंने कहा था कि बीआरएस ने इसलिए चुनाव से दूर रहने का फैसला किया है क्योंकि वह न तो भाजपा को वोट दे सकती है और न ही एआईएमआईएम को।
कांग्रेस के खिलाफ भाजपा के हमले पर आपत्ति जताते हुए सत्तारूढ़ पार्टी के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) वेंकट बालमूर ने कहा था कि भाजपा ने चुनाव जीतने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं होने के बावजूद चुनाव लड़ने का फैसला किया है। बालमूर ने आरोप लगाया था कि भाजपा धार्मिक वैमनस्य को बढ़ावा देकर राजनीतिक लाभ हासिल करने की कोशिश कर रही है।