राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के एक विशेषज्ञ समूह ने बुधवार को आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधारों की ‘धीमी गति’ पर बुधवार को चिंता प्रकट की। आयोग ने ‘आपराधिक न्याय प्रणाली पर कोर समूह’ की पहली बैठक का आयोजन किया था। मानवाधिकार आयोग ने एक बयान में कहा कि यह महसूस किया गया कि मामलों के निस्तारण में विलंब विचाराधीन और सजायाफ्ता कैदियों के मानवधिकार का उल्लंघन है। उसने कहा, ‘‘आपराधिक न्यायिक प्रणाली में सुधारों की धीमी गति पर गंभीर चिंता प्रकट करते हुए त्वरित न्याय सुनिश्चित करने को कहा।’’ न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एम एम कुमार ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि आपराधिक न्याय प्रणाली में त्वरित सुधार में पुलिस की व्यवस्था महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेशों समेत कई प्रयासों के बावजूद जमीनी हकीकत में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है। मानवाधिकार आयोग के प्रमुख न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरुण कुमार मिश्रा ने कहा कि दस्तावेजों के डिजिटलीकरण से निष्पक्ष और त्वरित जांच एवं सुनवाई में मदद मिलेगी।
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