केस-1: बाल ठाकरे का निधन हुआ था। उनके निधन पर 21 साल की शाहीन धांदा ने महाराष्ट्र बंद पर फेसबुक पर कमेंट किया था। उसने लिखा था कि ठाकरे जैसे बहुत से लोग इस देश में पैदा होते हैं। उनका देहांत होता है। ऐसे लोगों के लिए महाराष्ट्र बंद रखना कहां तक उचित है? टिप्पणी को उसकी सहेली रेणु ने लाइक किया था। दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया।
केस-2: उत्तर प्रदेश में रहने वाले जीत सिंह ने योगी आदित्यनाथ के खिलाफ एक विवादित पोस्ट कर दी। उसमें योगी आदित्यनाथ की विन डीजल की फोटो के साथ दिखाया गया था। पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
...और अब केस-3:
सोशल मीडिया पर एक फेसबुक पेज है 'हिंदुत्व वार्ता'। पिछले दिनों इस पेज पर डाली गई एक पोस्ट ने सरेआम धार्मिक वैमनस्य बढ़ाने का प्रयास किया। इस पोस्ट में 102 ऐसे जोड़ों की लिस्ट जारी की थी जिन्होंने हिंदू लड़की से अंतर धार्मिक विवाह किया है। सभी नामों के साथ उनके फेसबुक प्रफाइल का लिंक भी दिया गया था। पोस्ट में 'हिंदू शेरों' को इनका 'शिकार' करने की अपील की गई थी। फेसबुक ने 'हिंदुत्व वार्ता' नाम के इस पेज को सस्पेंड कर दिया है लेकिन पुलिस प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
फेक न्यूज की पड़ताल करने वाली वेबसाइट altnews.in ने 'हिंदुत्व वार्ता' फेसबुक पेज के एडमिन की पहचान कर ली है। सोमवार को सतीश नाम के शख्स ने हिंदत्व वार्ता पेज चलाने की जिम्मेदारी ली है। उसने अपने ट्विटर पर लिखा, 'मुझे हिंदुत्व वार्ता पेज का एडमिन होने का गर्व है...अंतर धार्मिक विवाह करने वाले खिलाफ जल्दी ही नया पेज बनाउंगा।' अल्ट न्यूज के मुताबिक इस लिस्ट को पहले 'Justice for Hindus' नाम के फेसबुक पेज पर शेयर की गई थी। उस पोस्ट में हिंसा की अपील नहीं थी।
दिल्ली में पिछले दिनों अंकित नाम के एक युवक की हत्या कर दी गई थी। उसने एक मुस्लिम लड़की से प्यार करने का 'गुनाह' किया था। लड़की के घर वालों ने बीच सड़क अंकित का गला रेत दिया। इस घटना के बाद हिंदू-मुस्लिम वैमनस्य बढ़ाने का प्रयास किया गया। दो खेमे बंटे। एक बार फिर से 'लव जिहाद' और 'रोमियो जिहाद' जैसे शब्द उछाले गए। इस हत्या के बाद हिंदुत्ववादी संगठनों को एक मौका मिल गया और समाज को बांटने और हिंसा फैलाने वाली पोस्ट की बाढ़ सी आ गई।
My view: जिस देश की युवा शक्ति पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गर्व करते हैं। जिन युवाओं के सामर्थ्य को देश की उन्नति में लगना चाहिए। उससे खुलेआम धार्मिक हत्याएं किए जाने की अपील की जा रही हैं। सोशल मीडिया के जरिए धार्मिक वैमनस्य फैलाने वाले लोगों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए। पुलिस प्रशासन का ढीला रवैया कहीं न कहीं गलत संदेश दे रहा है।