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हिजाब विवाद: हिंदू सेना ने कर्नाटक हाईकोर्ट में दायर किया हस्तक्षेप आवेदन, दिया केशवंदन भारती केस का हवाला, जानिए पूरा मामला

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: February 15, 2022 15:42 IST

हिंदू सेना के आवेदन में कोर्ट में कहा गया है कि हिंदुओं में सभी धर्मों का सम्मान है और इसलिए यह अपेक्षा की जाती है कि अन्य समुदायों के सदस्य भी धार्मिक मुद्दों पर उसी तरह की प्रतिक्रिया दें और समाज में शांति और सौहार्द को कायम रखने में अपनी भूमिका का निर्वहन करें। 

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ठळक मुद्देआवेदन में केशवंदन भारती बनाम केरल राज्य के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया गया हैसंविधान के अनुच्छेद 25 के तहत धर्मनिरपेक्ष देश में धर्मिक स्वतंत्रता का पूर्ण अधिकार लागू नहीं हैसभी धर्म सार्वजनिक स्थानों पर संवैधानिक दायित्वों का पूरी गरिमा और निष्ठा के साथ पालन करें

बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट में हिंदू सेना की ओर से सोमवार को एक याचिका दायर की गई, जिसमें हिजाब विवाद में हस्तक्षेप करने की मांग कीा गई थी। कोर्ट में यह यातिका हिंदू सेना के उपाध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव ने दाखिल की है। इस याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि कर्नाटक हाईकोर्ट हिजाब विवाद मामले में फौरन हस्तक्षेप करे।

मामले में याचिकाकर्ता सुरजीत सिंह यादव (आवेदक) की ओर से कोर्ट में कहा गया है कि हिंदुओं में सभी धर्मों का सम्मान है और इसलिए यह अपेक्षा की जाती है कि अन्य समुदायों के सदस्य भी धार्मिक मुद्दों पर उसी तरह की प्रतिक्रिया दें और समाज में शांति और सौहार्द को कायम रखने में अपनी भूमिका का निर्वहन करें। 

सुरजीत सिंह यादव ने कोर्ट में दिये अपने आवेदक में केशवंदन भारती बनाम केरल राज्य के सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिये गये फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र में नागरिकों के बीच सार्वजनिक जगहों पर धर्मनिरपेक्षता बनी रहनी चाहिए और शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक पोशाकों पर रोक लगाने को उसी संदर्भ में देखे जाने की जरूरत है। 

इसके साथ हिंदू सेना के उपाध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव ने अपने आवेदन में यह भी कहा है कि भारतीय समाज बहुधर्मी है और इसमें कई तरह की मान्यताओं और परंपराओं के मानने वाले लोग एक साथ रहते हैं। इसलिए संविधान सम्मत सभी समुदायों के सदस्यों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह सार्वजनिक तौर पर शांति और सौहार्द को बनाये रहें और सार्वजनिक स्थानों पर दिये गये संवैधानिक दायित्वों का पूरी गरिमा और निष्ठा के साथ पालन करें। 

आवेदन में कोर्ट से यह भी कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक देश में धर्मिक स्वतंत्रता का पूर्ण अधिकार नहीं दिया गया है।

मालूम हो कि कर्नाटक हाईकोर्ट की एक फुल बेंच मुस्लिम छात्राओं द्वारा दायर की गई उस याचिका की सुनवाई कर रहा है, जिसमें कर्नाटक के कुछ कॉलेजों में हिजाब को प्रतिबंधित किये जाने पर आपत्ति दर्ज कराई गई है। 

इससे पहले बीते 9 फऱवरी को इस मामले की सुनवाई कर रहे सिंगल बेंच के जज जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित ने इस विषय को गंभीर और महत्वपूर्ण बताते हुए बड़ी बेंच के पास भेजने का आदेश दे दिया था। 

जिसके बाद 10 फरवरी को कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए एक अंतरिम आदेश पारित किया।

हाईकोर्ट के जजों ने अपने आदेश में कहा कि जब तक मामले की सुनवाई पूर्ण नहीं हो जाती कर्नाटक में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को कॉलेज परिसर में हिजाब या भगवा वस्त्र पहनें या किसी भी तरह के धार्मिक चिन्हों के प्रदर्शन पर रोक लगी रहेगी। 

टॅग्स :कर्नाटक हिजाब विवादHindu Senaविवादcontroversy
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