लाइव न्यूज़ :

झारखंड : ‘मॉब लिंचिंग’ और रांची में हिंसा पर उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार से मांगी रिपोर्ट

By भाषा | Updated: July 9, 2019 02:44 IST

न्यायमूर्ति एचसी मिश्र और न्यायमूर्ति दीपक रोशन की खंडपीठ ने सोमवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ‘मॉब लिंचिंग’ की घटना पर सरकार से रिपोर्ट मांगी है।

Open in App

झारखंड उच्च न्यायालय ने सरायकेला में हुई कथित ‘मॉब लिंचिंग’ और इसके बाद रांची के डोरंडा तथा एकरा मस्जिद के पास उपद्रव की घटनाओं पर सरकार से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। न्यायमूर्ति एचसी मिश्र और न्यायमूर्ति दीपक रोशन की खंडपीठ ने सोमवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरायकेला की कथित ‘मॉब लिंचिंग’ की घटना और उसके बाद सरकार द्वारा की गयी कार्रवाई की रिपोर्ट सरकार से मांगी है।

वहीं, रांची की हिंसा की घटनाओं पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को 17 जुलाई तक पूरा ब्योरा पेश करने का निर्देश अदालत ने दिया है। याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि ‘मॉब लिंचिंग’ (भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार डालना) गंभीर मामला है। इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता, लेकिन इसके बाद रांची में हुई हिंसा की घटनाएं उससे भी गंभीर हैं।

इन घटनाओं को सामान्य नहीं माना जा सकता। सरायकेला में 28 जून को मोहम्मद तबरेज नामक युवक पर चोरी का आरोप लगाते हुए भीड़ ने उसकी पिटाई कर दी थी। बाद में उसे पुलिस को सौंप दिया गया था। पुलिस ने हिरासत में लेने के बाद उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया था, जहां उसकी मौत हो गई थी।

इस घटना के विरोध में पांच जुलाई को डोरंडा में मुस्लिम संगठनों की सभा के बाद डोरंडा में वाहनों में तोड़फोड़ और पथराव किया गया था। एक बस को जलाने की कोशिश भी की गयी थी। शाम को हवाईअड्डे के पास कुछ युवकों की पिटाई के विरोध में रतन टॉकीज चौक को जाम कर दिया गया था।

दर्जनों वाहनों में तोड़फोड़ की गयी थी और दो लोगों को चाकू मारकर घायल कर दिया गया था। सरायकेला में ‘मॉब लिंचिंग’ की घटना के बाद झारखंड हाईकोर्ट में पंकज यादव ने जनहित याचिका दायर की। इसमें आरोप लगाया गया है कि झारखंड में 18 मार्च 2016 से अब तक ‘मॉब लिंचिंग’ में 18 लोगों की जान जा चुकी है।

रामगढ़ में हुई घटना के बाद से इस तरह के मामलों को रोकने के लिए राज्य सरकार की ओर से कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए गए हैं। याचिका में आरोप लगाया कि इन घटनाओं की जांच भी सही तरीके से नहीं की जाती है। इसकी वजह से आरोपियों को राहत मिल जाती है। उच्चतम न्यायालय की ओर से जारी दिशा- निर्देश का पालन भी नहीं किया जाता है।

इस कारण ‘मॉब लिंचिंग’ की घटनाओं की सीबीआई जांच होनी चाहिए। पंकज यादव ने सोमवार को इसी मामले में एक अन्य याचिका दायर की। इसमें पांच जुलाई को रांची के डोरंडा और एकरा मस्जिद की घटना का उल्लेख करते हुए कहा गया कि दोनों घटनाएं काफी गंभीर हैं और यह पुलिस प्रशासन की विफलता का उदाहरण भी है। भीड़ हिंसक थी। चाकूबाजी होती रही, लेकिन पुलिस मौन रही। इस घटना की उच्चस्तरीय जांच कराने का आग्रह अदालत से किया गया है। भाषा नेत्रपाल नेत्रपाल

टॅग्स :मॉब लिंचिंगझारखंडरांची
Open in App

संबंधित खबरें

भारतझारखंड में संभावित सियासी उलटफेर की खबरों पर कोई भी नेता खुलकर बोलने को नहीं है तैयार, सियासी गलियारे में अटकलों का बाजार है गरम

भारतबिहार के बाद क्या झारखंड में भी बनेगी एनडीए सरकार, भाजपा-झामुमो के बीच खिचड़ी पकने की चर्चा से बढ़ा सियासी पारा

क्रिकेटटीम इंडिया से बाहर, 10 चौका, 8 छक्का, 50 गेंद और नाबाद 113 रन?, त्रिपुरा बॉलर पर टूटे इशान किशन

क्राइम अलर्टपत्नी आरती कुमारी, बेटी रूही कुमारी और बेटे विराज कुमार का गला घोंटा, फिर खुद वीरेंद्र मांझी ने फंदे से लटककर दी जान

क्राइम अलर्टमेले से लौटते समय खेत में बैठकर नाश्ता कर रहे थे 17 वर्षीय प्रेमिका के साथ नाबालिग ब्वॉयफ्रेंड, प्रेमी ने 3 दोस्त को बुलाया और बारी-बारी से किया सामूहिक रेप

भारत अधिक खबरें

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत