इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पुलिस अधीक्षक (साइबर सेल), लखनऊ को निजी हलफनामा दाखिल कर उनसे एक साल के भीतर साइबर धोखाधड़ी संबंधी दर्ज प्राथमिकी की संख्या, जांच की वर्तमान स्थिति, फर्जी तरीके से निकाली गई रकम, पीड़ित की डूबी रकम की वसूली और इस तरह की धोखाधड़ी रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों का ब्यौरा देने को कहा।
अदालत ने प्रयागराज के पुलिस अधीक्षक (अपराध, साइबर सेल) को भी पिछले एक साल के इसी तरह के विवरण उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।
यह आदेश न्यायमूर्ति एसके यादव ने नीरज मंडल उर्फ राकेश द्वारा दायर जमानत की अर्जी पर सुनवाई करते हुए पारित किया। राकेश को उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के बैंक खाते से फर्जी तरीके से धन निकालने के मामले में गिरफ्तार किया गया था जिस संबंध में प्रयागराज के कैंट थाने में 8 दिसंबर, 2020 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
अदालत ने कहा कि पुलिस अधिकारी इस तरह की धोखाधड़ी की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए गंभीर प्रयास नहीं कर रहे हैं। संबद्ध पक्षों के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद अदालत जिले और प्रदेश स्तर पर फर्जी तरह से धन निकासी के संबंध में पुलिस अधिकारियों द्वारा किए जा रहे प्रयासों से संतुष्ट नहीं थी।
अब नौ जुलाई को होगी सुनवाई
अदालत ने कहा, 'यह समाज के खिलाफ एक अपराध है और पुलिस अधिकारी इस तरह की धोखाधड़ी की गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए गंभीर प्रयास नहीं कर रहे हैं।' अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख नौ जुलाई तय की और प्रयागराज के पुलिस अधीक्षक (साइबर सेल) और कैंट थाने के प्रभारी को अगली सुनवाई पर अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश दिया।