नयी दिल्ली , 11 अगस्त दिल्ली उच्च न्यायालय ने यहां सभी अदालतों में 'न्याय की देवी' कही जाने वाली महिला की मूर्ति एवं भारतीय ध्वज लगाने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका को बुधवार को खारिज कर दिया।
याचिकाकर्ता के अनुसार यह मूर्ति बिना किसी पूर्वाग्रह के कानून के निष्पक्ष एवं समान प्रशासन का द्योतक होगी तथा झंडे से संबंधित पक्षों में विश्वास एवं देशभक्ति की प्रेरणा मिलेगी।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल ने याचिकाकर्ता श्रीकांत प्रसाद से कहा, ‘‘ क्या आप अदालत के आदेश के लिए निमंत्रण दे रहे हैं?फैसला आपका है। ’’ इसी के साथ उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि वह इस याचिका को खारिज करने के पक्ष में हैं।
बाद में न्यायमूर्ति पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने प्रसाद को बिना शर्त याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी।
प्रसाद ने कहा कि चूंकि ‘न्यायालय न्याय का मंदिर है इसलिए उसमें कोई देवी-देवता तो होना ही चाहिए।’’
याचिका में प्रसाद एवं सह याचिकाकर्ता राजकिशार प्रसाद कुशवाहा ने कहा कि अदालतों में न्याय की महिला मूर्ति एवं झंडे लगाने से ‘ लोगों के मन-मस्तिष्क में उत्साह का संचार होगा।
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