रांची: प्रवर्तन निदेशालय की जांच में बतौर आरोपी होकर सत्ता गंवाने वाले झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंच गये हैं। जानकारी के अनुसार बीते बुधवार को झारखंड की गठबंधन सरकार के मुखिया पद से त्यागपत्र देने वाले सोरेन ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
समाचार वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार शीर्ष अदालत शुक्रवार को उनकी याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गई। हेमंत सोरेन की ओर से वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने गुरुवार को मामले पर तत्काल सुनवाई की मांग की।
सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए दोनों वकीलों ने कहा कि वे झारखंड हाईकोर्ट से उस याचिका को वापस ले लेंगे, जिसे हेमंत सोरेन द्वारा ईडी की गिरफ्तारी रोकने के लिए दायर की गई थी। खबरों के मुताबिक झारखंड उच्च न्यायालय सोरेन की याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करने वाला था।
मालूम हो कि बीते बुधवार को झारखंड में मचे भारी सियासी उथल-पुथल के बीच हेमंत सोरने को उस समय मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देना पड़ा, जब ईडी ने जमीन घोटाले के मामले में उनके साथ की गई लंबी पूछताछ के बाद आखिर उन्हें गिरफ्तार करने का फैसला लिया।
सोरेन ईडी अधिकारियों के साथ राजभवन गये, जहां उन्होंने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा सौंपा। उसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा के गठबंधन वाली सरकार ने उनकी जगह नये मुख्यमंत्री पद के लिए चंपई सोरेन का नाम आगे बढ़ाया।
हालांकि राज्यपाल राधाकृष्णन ने अभी तक चंपई सोरेन के नाम पर अपनी मंजूरी नहीं दी है। चूंकि सूबे में राष्ट्रपति शासन भी नहीं है। इस कारण से ईडी के शिकंजे में होते हुए भी हेमंत सोरेन राज्य के कार्यवाहक मुख्यमत्री बने हुए हैं।
फिलहाल ईडी की दफ्तर में रात गुजारने वाले हेमंत सोरने की झारखंड में सरकार के प्रमुख हैं और यह व्यवस्था तक तक लागू रहेगी, जब तक राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन झामुमो गठबंधन की ओर से प्रस्तावित चंपई सोरेन के नाम पर अपनी मुहर नहीं लगाते हैं।
बताया जा रहा है कि चंपई सोरेन ने 43 विधायकों के समर्थन के साथ नई सरकार बनाने का दावा राज्यपाल के सामने पेश किया है। झामुमो का कहना है कि चंपई सोरेन के पास 43 विधायकों का समर्थन है और चूंकि उन्होंने मुख्यमंत्री पद के लिए अपना दावा भी पेश किया है, इस नाते राज्यपाल को सीएम पद की शपथ लेने के लिए उन्हं आमंत्रित करना चाहिए लेकिन बावजूद झामुमो के इस दावे के अभी तक राज्यपाल ने चंपई सोरेन को राजभवन आने का निमंत्रण नहीं दिया है।