Jharkhand CM: हेमंत सोरेन ने राजनीति के चलते छूट गई थी इंजीनियरिंग की पढ़ाई, थोड़े समय में ही सियासत की बुलंदियों पर पहुंचे
By एस पी सिन्हा | Updated: November 28, 2024 17:15 IST2024-11-28T17:15:07+5:302024-11-28T17:15:16+5:30
पटना से ही साइंस में इंटर की भी परीक्षा पास की। बाद में उनका दाखिला रांची के बीआईटी में इंजीनियरिंग में कराया गया। हालांकि, वह पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए। वर्ष 2003 में राजनीति में हेमंत सोरेन ने कदम रखा।

Jharkhand CM: हेमंत सोरेन ने राजनीति के चलते छूट गई थी इंजीनियरिंग की पढ़ाई, थोड़े समय में ही सियासत की बुलंदियों पर पहुंचे
रांची: झारखंड की राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान में गुरुवार को एक भव्य समारोह में हेमंत सोरेन ने चौथी बार झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार हेमंत सोरेन को सीएम पद की शपथ दिलायी। हेमंत सोरेन झारखंड के 14वें मुख्यमंत्री बन गए हैं। झारखंड के जुझारू आदिवासी नेता शिबू सोरेन और रूपी सोरेन के घर जन्म लेने वाले हेमंत सोरेन की शुरुआती शिक्षा बोकारो जिले में हुई। सेंट्रल स्कूल में पढ़ाई करने के बाद पटना के एमजी हाई स्कूल से वर्ष 1990 में मैट्रिक की परीक्षा पास की। पटना से ही साइंस में इंटर की भी परीक्षा पास की। बाद में उनका दाखिला रांची के बीआईटी में इंजीनियरिंग में कराया गया। हालांकि, वह पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए। वर्ष 2003 में राजनीति में हेमंत सोरेन ने कदम रखा।
उन्हें झारखंड छात्र मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया। 24 जून 2009 को वह राज्यसभा के लिए चुने गए। 10 अगस्त 1975 को जन्मे हेमंत सोरेन महज 7 महीने तक उच्च सदन के सदस्य रहे। 23 दिसंबर 2009 को वह दुमका (एसटी) विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। इसके बाद 4 जनवरी 2009 को राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। कुछ ही समय में हेमंत सोरेन ने राजनीति की ऊंचाइयों को छुआ।
महज 16 साल के राजनीतिक करियर में उन्होंने 4 बार मुख्यमंत्री बने। इसके पहले मंत्री और उप-मुख्यमंत्री भी रहे। हेमंत सोरेन ने अपने पिता शिबू सोरेन का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया। शिबू सोरेन 3 बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने। हालांकि, वह कभी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। हेमंत सोरेन के नेतृत्व में पहली बार वर्ष 2019 में झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला। लेकिन कथित जमीन घोटाला मामले में उन्हें जेल जाना पड़ा और लगातार 5 साल सरकार चलाने का रघुवर दास का रिकॉर्ड वह नहीं तोड़ पाए।