हरियाणा विधानसभा चुनावों में शिरोमणि अकाली दल से भाजपा का चुनावी समझौता नहीं होगा. अकाली दल अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ेगा. कालांवाली विधानसभा क्षेत्र से अकाली दल के एकमात्र विधायक बलकौर सिंह के भाजपा में शामिल होने के बाद दोनों पार्टियों में चुनावी समझौते की संभावनाएं खत्म हो गई हैं. अगर समझौते की कोई गुंजाइश होती तो भाजपा की तरफ से अकाली दल के विधायक को तोड़ने की जरूरत नहीं पड़ती.
पिछले विधानसभा चुनाव में बलकौर सिंह इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के सहयोग से जीते थे. लेकिन चौटाला परिवार के दो फाड़ होने के बाद बलकौर सिंह ने इनेलो से दूरी बना ली थी. सतलुज यमुना जोड़ नहर (एसवाईएल) के निर्माण पर विपक्ष के नेता रहे अभय सिंह चौटाला के आक्रामक रुख को देखते हुए भी अकाली दल और इनेलो के बीच वर्षो से चला आ रहा तालमेल टूट गया था. इस सब के बावजूद चौटाला और बादल कुनबे में पारिवारिक रिश्ते आज भी कायम हैं. लेकिन इनेलो में विघटन के बाद टूटे सियासी रिश्तों को जोड़ने में अकाली दल की हरियाणा इकाई की तरफ से कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई गई.
अकाली दल के महासचिव और पूर्व मंत्री दलजीत सिंह चीमा ने साफ कर दिया है कि हरियाणा में उनकी पार्टी अकेले अपने दम पर विधानसभा चुनाव लड़ेगी. हालांकि, हाल के लोकसभा चुनावों में अकाली दल ने भाजपा को बिना शर्त समर्थन दिया था. पंजाब में अकाली दल का पिछले 42 वर्षो से भाजपा से गठबंधन है, लेकिन हरियाणा में समझौते की बार सिरे नहीं चढ़ पाई है.