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हरसिद्धि विधानसभा सीट: बिहार की इस सीट पर भाजपा-राजद के बीच होता रहा है मुकाबला, कमल खिलाए रखना भाजपा के लिए होगी बड़ी चुनौती

By एस पी सिन्हा | Updated: June 16, 2025 15:13 IST

बिहार के पूर्वी चंपारण जिले का हरसिद्धि विधानसभा क्षेत्र अपनी सामाजिक और राजनीतिक विविधता के लिए जाना जाता है। यह क्षेत्र विशेष रूप से अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है और यहां के चुनावी परिणाम अक्सर सामाजिक समीकरणों और स्थानीय मुद्दों के आधार पर निर्धारित होते हैं।

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पटना: बिहार के 243 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक हरसिद्धि विधानसभा सीट 13वें स्थान पर है। हरसिद्धि सीट पर वर्ष 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार कृष्णनंदन पासवान ने 84615 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। उन्होंने राजद प्रत्याशी कुमार नागेन्द्र बिहारी को हराया था, जिनके हिस्से 68930 वोट आए। बिहार के पूर्वी चंपारण जिले का हरसिद्धि विधानसभा क्षेत्र अपनी सामाजिक और राजनीतिक विविधता के लिए जाना जाता है। यह क्षेत्र विशेष रूप से अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है और यहां के चुनावी परिणाम अक्सर सामाजिक समीकरणों और स्थानीय मुद्दों के आधार पर निर्धारित होते हैं।

हरसिद्धि विधानसभा का इतिहास राजनीतिक दृष्टि से बेहद दिलचस्प रहा है, जहां पर विभिन्न दलों और उम्मीदवारों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलती है। हरसिद्धि विधानसभा क्षेत्र में 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार कृष्णनंदन पासवान ने जीत हासिल की थी। उन्होंने कुल 84,615 वोट प्राप्त किए, जो कि 49.71 फीसदी वोट शेयर था। उनकी इस जीत ने यह साबित कर दिया कि बीजेपी ने स्थानीय स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत की है। 

वर्ष 2020 में कृष्णनंदन पासवान के मुकाबले राजद के कुमार नागेंद्र राम बिहारी दूसरे स्थान पर रहे, जिन्होंने 68,930 वोट (40.50 फीसदी) प्राप्त किए। इस चुनाव में अन्य दलों के उम्मीदवारों की स्थिति कमजोर रही, जैसे कि रेशम कुमार (राष्ट्रीय लोक समता पार्टी) ने 10,523 वोट प्राप्त किए, और नोटा को 2,938 वोट मिले थे। 

वहीं, 2015 के विधानसभा चुनाव में राजद के उम्मीदवार राजेंद्र कुमार ने 75,203 वोट प्राप्त कर इस सीट पर जीत दर्ज की थी। उनका वोट शेयर 50 फीसदी था, जो कि इस क्षेत्र के स्थानीय राजनीतिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए एक मजबूत जीत मानी गई। भाजपा के कृष्णनंदन पासवान ने 64,936 वोट (43 फीसदी) प्राप्त किए और वे दूसरे स्थान पर रहे। इस चुनाव में श्याम बिहारी प्रसाद (जदयू) ने 44,714 वोट प्राप्त किए, लेकिन उनका प्रदर्शन उम्मीद से कम था। 

हरसिद्धि विधानसभा क्षेत्र में 2010 में भी भाजपा का दबदबा देखने को मिला था, जब कृष्णनंदन पासवान ने 48,130 वोट प्राप्त किए और चुनाव जीता, उनका वोट शेयर 47 फीसदी था। राजद के सुरेंद्र कुमार चंद्रा 30,066 वोट (29 फीसदी) के साथ दूसरे स्थान पर रहे। 2010 के चुनाव में भी अन्य उम्मीदवारों का प्रदर्शन सीमित था, जिसमें नोटा को 3,441 वोट मिले। हरसिद्धि विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम, रविदास, और कोइरी समुदायों का महत्वपूर्ण योगदान है। इन समुदायों का प्रभाव चुनाव परिणामों में निर्णायक भूमिका निभाता है। 

इसके अलावा, यह क्षेत्र नेपाल की सीमा के नजदीक स्थित होने के कारण सीमा से जुड़े मुद्दों और सुरक्षा चिंताओं से भी प्रभावित रहता है। राजनीतिक दलों ने स्थानीय मुद्दों और समाजिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीतियों का निर्माण किया है। हरसिद्धि (एससी) विधानसभा में एससी मतदाताओं की संख्या लगभग 43,349 है जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 16.18 फीसदी है। जबै एसटी मतदाताओं की संख्या लगभग 348 है जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 0.13 फीसदी है। 

वहीं, मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 49,564 है जो मतदाता सूची विश्लेषण के अनुसार लगभग 18.5 फीसदी है। यहां ग्रामीण मतदाताओं की संख्या लगभग 267,915 है जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 100 फीसदी है। जबकि शहरी मतदाताओं की संख्या लगभग 0 है जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 0 फीसदी है।

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